बिहार चुनाव 2025 में कांग्रेस की नैया पार लगाएंगे ‘3 दिग्गज’, इनमें 2 Ex CM और एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष

Published : Oct 05, 2025, 02:15 PM IST
Rahul Gandhi along with Congress Party President Malikarjun Kharge and KC Venugopal at Voter Adhikar Rally

सार

बिहार चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस ने अनुभवी नेताओं को मैदान में उतारा है। अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त हुए हैं। संगठन को मजबूत करने और जमीनी पकड़ बनाने के लिए 41 जिला पर्यवेक्षक भी बनाए गए हैं।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान से पहले कांग्रेस ने अपनी चुनावी टीम का सबसे बड़ा खुलासा कर दिया है। पार्टी ने अनुभवी नेताओं पर भरोसा जताते हुए अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी को वरिष्ठ चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। गहलोत और बघेल, दोनों अपने-अपने राज्यों (राजस्थान और छत्तीसगढ़) के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रह चुके हैं। कांग्रेस ने साफ संदेश दिया है, इस बार चुनाव हल्के में नहीं, पूरा अनुभव लेकर लड़ा जाएगा।

41 जिला पर्यवेक्षक भी मैदान में, कांग्रेस का ‘ग्राउंड नेटवर्क’ तैयार

वरिष्ठ पर्यवेक्षकों के साथ कांग्रेस ने 41 जिला चुनाव पर्यवेक्षकों की भी नियुक्ति की है। इस लिस्ट में अविनाश पांडे, भक्त चरण दास, अजय राय, अनील चौधरी, बी.वी. श्रीनिवास, विक्रांत भूरिया, इरफान अंसारी और अनील चोपड़ा जैसे नाम शामिल हैं। इन नेताओं का काम होगा जिलों में बूथ लेवल तक संगठन की पकड़ मजबूत करना, स्थानीय समीकरणों की रिपोर्ट तैयार करना और उम्मीदवार चयन में जमीनी राय देना।

महागठबंधन में कांग्रेस की भूमिका पर नजर

बिहार में कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई-एमएल और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के साथ महागठबंधन (महागठबंधन) का हिस्सा है। हालांकि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है। कांग्रेस चाहती है कि इस बार उसे पिछली बार से ज्यादा सीटें मिलें और कुछ शहरी इलाकों में भी लड़ाई का मौका दिया जाए, जहाँ पार्टी का पारंपरिक वोट बैंक मौजूद है।

राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से मिला बूस्ट

हाल ही में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। इस यात्रा में राहुल ने सीधे-सीधे बीजेपी और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “जब वोटर ही लिस्ट से गायब हो जाए, तो लोकतंत्र की नींव हिल जाती है।” इस यात्रा में भारी भीड़ जुटी और कांग्रेस ने इसे अपने पुनरुद्धार की शुरुआत माना। अब पार्टी चाहती है कि इस उत्साह को वोट में बदला जाए।

2020 में कमजोर प्रदर्शन, अब सुधार की चुनौती

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर दांव लगाया था, लेकिन जीत सिर्फ 19 सीटों पर मिली। वोट शेयर भी महज 9.48% रहा। कांग्रेस का लक्ष्य है कि इस बार का चुनाव सिर्फ “महागठबंधन के सहारे” नहीं, बल्कि अपने दम पर कुछ खास सीटों पर मजबूती से लड़ा जाए।

कांग्रेस का संदेश साफ

बिहार की राजनीति में कांग्रेस की भूमिका लगातार सिमटती जा रही थी, लेकिन अब पार्टी एक बार फिर पुराने चेहरों और नई रणनीति के साथ मैदान में उतर रही है। गहलोत-बघेल-अधीर की तिकड़ी के पास प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है और यही कांग्रेस की सबसे बड़ी उम्मीद भी।

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