
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर बैठकों का दौर तेज़ है। इस बीच कांग्रेस ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। पार्टी ने पहले चरण के लिए करीब 36 नाम तय कर लिए हैं, जिनकी आधिकारिक घोषणा जल्द की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, बक्सर, महाराजगंज, राजापाकड़, भागलपुर और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख इलाकों में पार्टी नए नाम देने के बजाय पुराने विधायकों और परीक्षित चेहरों पर भरोसा करने जा रही है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस बार चुनाव में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर उतरी थी, लेकिन सिर्फ 19 उम्मीदवार ही जीत पाए थे। उस करारी हार के बाद इस बार पार्टी ने तय किया है कि "टेस्टेड एंड ट्रस्टेड" नेताओं को ही टिकट मिलेगा।
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी जिलों से आए आवेदनों की दोबारा समीक्षा की है। प्रत्येक उम्मीदवार के पिछले कार्यकाल में किए गए काम, जनता से जुड़ाव, संगठन में सक्रियता और क्षेत्रीय लोकप्रियता का मूल्यांकन किया गया। इस विस्तृत समीक्षा के बाद 36 सीटों पर नाम तय कर लिए गए हैं। इन नेताओं के नामों की सिफारिश दिल्ली हाईकमान को भेजी गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई चर्चा के बाद अब बस औपचारिक मुहर लगनी बाकी है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अगले कुछ घंटों में फाइनल हो सकता है। पहले चरण के उम्मीदवारों की घोषणा बहुत जल्द की जाएगी, जबकि दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों के नाम 15 अक्टूबर के बाद जारी किए जाने की संभावना है।
पार्टी की रणनीति साफ है, हर सीट पर मजबूत, साफ-सुथरी छवि और जनाधार वाले उम्मीदवार उतारे जाएंगे। कांग्रेस चाहती है कि इस बार उसकी संगठनात्मक पकड़ महागठबंधन में और मजबूत हो, ताकि वह सिर्फ सहयोगी दल नहीं बल्कि निर्णायक भूमिका में नजर आए।
कांग्रेस ने 2020 में जो हार झेली, वह अभी भी पार्टी के अंदर एक कड़वा सबक बनकर मौजूद है। तब संगठन में तालमेल की कमी, उम्मीदवार चयन में जल्दबाजी और लोकल लेवल पर कमजोर प्रचार के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन इस बार पार्टी का दावा है कि “इस बार गलती नहीं दोहराई जाएगी।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस बार हर सीट पर विजेता क्षमता वाले उम्मीदवार उतारे जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “हम इस बार सिर्फ चुनाव नहीं लड़ना चाहते, बल्कि जीतना चाहते हैं। यही वजह है कि हर सीट पर ऐसे उम्मीदवार को मौका मिलेगा जो जनता से जुड़ा हो और संगठन के प्रति समर्पित हो।”
बिहार में इस बार कांग्रेस महागठबंधन के भीतर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी जहां केंद्र में बनी हुई है, वहीं कांग्रेस चाहती है कि इस बार उसकी सीटों की संख्या और राजनीतिक प्रभाव दोनों बढ़ें। हालांकि सीट शेयरिंग पर अब भी कुछ सीटों पर मतभेद बने हुए हैं, लेकिन अंदरखाने चर्चा है कि जल्द ही अंतिम समझौता हो जाएगा।
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