
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस ने NDA सरकार को घेरने के लिए ‘20 दिन-20 सवाल’ अभियान की घोषणा की है। शनिवार को पटना के सदाकत आश्रम में प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनएसयूआई के प्रभारी कन्हैया कुमार ने इस अभियान की रूपरेखा पेश की। उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में कांग्रेस के नेता लगातार 20 दिनों तक जनता के सवालों के माध्यम से डबल इंजन सरकार से पिछले 20 सालों में उनके द्वारा किए गए कामों का जवाब मांगेंगे।
कन्हैया कुमार ने इस मौके पर पीरपैंती बिजली घर परियोजना को उदाहरण के तौर पर उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह परियोजना UPA सरकार के दौरान शुरू हुई थी, जिसे केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से पूरा होना था, लेकिन बाद में इसे पीएम मोदी के करीबी अडानी समूह को सौंप दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि इस परियोजना के लिए तय बजट की राशि कहां गायब हो गई और इसका नुकसान सीधे बिहार के नागरिकों पर क्यों पड़ा।
कन्हैया ने कहा कि किसानों से सस्ती जमीन लेकर महंगे दाम पर बिजली खरीदना बिहार की जनता के हित में नहीं है। उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों में अडानी 3 रुपए प्रति यूनिट पर बिजली सप्लाई कर रहे हैं, जबकि बिहार में यह दर 6 रुपए प्रति यूनिट है। इसके कारण राज्य को लगभग 56,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कन्हैया ने इसे सीधे तौर पर जनता के साथ धोखाधड़ी बताया और कहा, “तुम मुझे चंदा दो, मैं तुम्हें धंधा दूंगा, यही आज की राजनीति का सच है।”
कांग्रेस ने विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) और चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम मतदाता सूची पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि हटाए गए नामों की संख्या जोड़े गए नामों से कहीं अधिक है। उन्होंने चेताया कि पार्टी अब इन सूचियों का बारीकी से विश्लेषण करेगी और वोटर के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
राजेश राम ने कहा कि SIR प्रक्रिया शुरू से ही अस्पष्ट और अविश्वसनीय रही है। इसकी लापरवाही इतनी बढ़ गई कि कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि कई योग्य मतदाताओं के नाम जानबूझकर सूची से हटाए गए हैं, जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार में चल रहे सरकारी सर्वे और जमीन विवाद में लोगों की जमीनों को फंसाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी दफ्तरों में लोग घूसखोरी के जाल में फंस रहे हैं और सरकार की असली मंशा जनता की जमीनें अपने मित्रों को सौंपने की है। उन्होंने इसे सीधे तौर पर जनता के हित के खिलाफ बताया।
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