
पटना। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में मचा घमासान थमता नहीं दिख रहा है। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और सीएम नीतीश कुमार के बीच नाराजगी के बाद अब एक बार फिर नया विवाद खड़ा हो गया। जगदेव जयंती के अवसर पर गुरुवार को उपेन्द्र कुशवाहा अलग से कार्यक्रम करने जा रहे हैं। उनके संगठन महात्मा फूले समता परिषद की तरफ से राजधानी समेत सभी जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।उधर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पहले ही चेता चुके हैं कि यदि उपेंद्र जगदेव जयंती पर अलग कार्यक्रम करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
समता परिषद के आयोजन में शामिल होंगे उपेंद्र
बिहार की राजनीति में इस समय नीतीश कुमार से उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी खूब चर्चा बटोर रही है। सीएम नीतीश कुमार से उनकी नाराजगी जगजाहिर हो चुकी है। पिछले दिनों उन्होंने पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान साफ एलान किया था कि दो फरवरी को जगदेव जयंती के अवसर पर वह समता परिषद के कार्यक्रम में शाामिल होंगे।
जगदेव जयंती पर आयोजित कार्यक्रम राजनीतिक नहीं
उन्होंने यह भी कहा था कि जेडीयू के नेता उन्हें उस आयोजन में शामिल होने से रोक रहे हैं। पर वह रूकेंगे। नहीं। उपेंद्र अपने अपना पक्ष मीडिया के सामने रखते हुए यह भी कहा था किसी भी नेता का अपना एक सामाजिक आधार होता है और उनका राजनीतिक जीवन उन्हीं सामाजिक आधार की वजह से मजबूत होता है। सभी नेता संगठनों से जुड़े हुए हैं और जगदेव जयंती पर आयोजित होने वाला कार्यक्रम राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है।
कार्यक्रम में शामिल होने से क्यों रोका जा रहा?
उन्होंने पटना में महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का उल्लेख भी किया और कहा कि तब भी कार्यक्रम एक सामाजिक संगठन ने ही कराया था। जिसमें जेडीयू के बड़े—बड़े नेता और सीएम नीतीश कुमार शामिल हुए थे। फिर आखिरकार उन्हें समता परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने से क्यों रोका जा रहा है?
प्रदेश अध्यक्ष ने दी थी ये चेतावनी
उधर, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र को अलग कार्यक्रम आयोजित करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि पार्टी जगदेव जयंती पर कार्यक्रम कर रही है। ऐसे में अलग कार्यक्रम की आवश्यकता नहीं है। यदि पार्टी की तरफ से जयंती पर आयोजन नहीं होता तो अलग से कार्यक्रम का आयोजन किया जा सकता था।
जगदेव प्रसाद के बारे में जानिए
2 फरवरी 922 को जन्मे जगदेव प्रसाद को बिहार में लेनिन नाम से भी जाना जाता है। क्रांतिकारी राजनेताओं में शुमार जगदेव प्रसाद ने दलित व पिछड़ा समुदाय के हित में कई कार्य किए। वह सोशलिस्ट व संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में भी रहे। उस समय 'सौ में नब्बे शोषित हैं' नारा प्रचारित था। जगदेव सिंह ने इस नारे का खूब प्रचार किया और इसके जरिए पिछड़ों के हक की बात कही। उनकी मौत 5 सितंबर 1974 को हुई। उस समय वह अरवल जिले के कुर्था में हो रहे प्रदर्शन में शामिल थे। उन्हें उनके समर्थकों की तरफ से शहीद का दर्जा दिया गया।
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