
पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, लेकिन इसी बीच बेरोजगार युवाओं का गुस्सा भी सड़कों पर उतर आया है। सोमवार को पटना की सड़कों पर दरोगा भर्ती के अभ्यर्थी हाथों में झंडे लेकर उतर पड़े। उनका कहना है कि लंबे समय से भर्ती प्रक्रिया की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सीएम आवास का घेराव करने के लिए अभ्यर्थी डाकबंगला चौराहे से आगे बढ़े, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक लिया। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई और हल्का बल प्रयोग कर अभ्यर्थियों को आगे बढ़ने से रोका गया। इसके बावजूद युवाओं का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। काला पट्टी बांधकर विरोध जताने वाले अभ्यर्थियों ने जोरदार नारेबाजी की और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग उठाई।
अभ्यर्थियों का कहना है कि दरोगा भर्ती की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए। उनका आरोप है कि पिछले कई वर्षों से आवेदन का इंतजार कराया जा रहा है। आने वाले दिनों में चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया और लंबित हो जाएगी।
इसके अलावा अभ्यर्थियों ने सिपाही भर्ती में पारदर्शिता की कमी का मुद्दा उठाया। परीक्षा के बाद क्वेश्चन पेपर, ओएमआर शीट की कॉपी और आंसर की जानकारी नहीं दी जाती। इससे युवाओं में असंतोष है। छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा, “हमें जानने का अधिकार है कि किस सवाल का सही उत्तर क्या माना गया और कितने नंबर मिले। युवाओं के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।”
इस प्रदर्शन में न केवल अभ्यर्थी बल्कि कई शिक्षक और शिक्षक नेता भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं का भविष्य दांव पर है और सरकार को उनकी आवाज सुननी चाहिए।
अभ्यर्थियों का कहना है कि बिहार में लाखों युवा रोजगार की राह देख रहे हैं। अगर भर्ती प्रक्रिया समय पर नहीं हुई तो युवाओं का भरोसा टूट जाएगा। उनका आरोप है कि सरकार युवाओं की समस्या की बजाय चुनावी राजनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
हाल ही में बिहार पुलिस विभाग द्वारा दरोगा के 28 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया गया था। आवेदन प्रक्रिया 27 फरवरी से 27 मार्च तक चली थी। लेकिन युवाओं की मांग है कि कम से कम 23,600 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए ताकि बेरोजगार युवाओं को राहत मिल सके। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो आंदोलन और तेज होगा। आचार संहिता लागू होने से पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू न होने पर लाखों युवाओं का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
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