
बिहार की मोकामा विधानसभा सीट एक बार फिर 'बाहुबली राजनीति' और हिंसक टकराव का केंद्र बन गई है। जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों और जन सुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थकों के बीच हुई झड़प के बाद राजद के पुराने नेता दुलारचंद यादव की मौत ने न सिर्फ चुनावी माहौल को उबाल दिया है, बल्कि जांच एजेंसियों के सामने राजनीति और अपराध के घालमेल की एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है।
30 अक्टूबर की शाम, मोकामा के घोसवरी थाना क्षेत्र के बासवान चक में यह खूनी संघर्ष शुरू हुआ। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह झड़प दो प्रमुख राजनीतिक खेमों, अनंत सिंह के समर्थक और जन सुराज के समर्थकों के बीच मामूली चुनावी वर्चस्व को लेकर शुरू हुई। विवाद तेजी से बढ़ा और जल्द ही यह एक हिंसक तांडव में बदल गया। मौके पर पत्थरबाजी हुई, वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया और आरोप है कि दोनों ओर से हथियार लहराए गए।
इसी अराजक माहौल में दुलारचंद यादव गंभीर रूप से घायल होकर सड़क किनारे पड़े मिले। उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनकी मौत के बाद, उनके समर्थकों और परिजनों ने सीधे तौर पर अनंत सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए, इसे चुनावी रंजिश में की गई सुनियोजित हत्या बताया।
दुलारचंद यादव की मौत के बाद, उनके पोते रविरंजन ने गुरुवार देर रात पुलिस में एक नामजद प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई। इस FIR में सीधे तौर पर जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है, साथ ही उनके चार समर्थकों रणवीर सिंह, कर्मवीर सिंह, कंजय सिंह, और छोटन सिंह को भी नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
मृतक के परिवार ने इस घटना को एक सोची-समझी हत्या करार दिया है। दुलारचंद के एक अन्य पोते नीरज कुमार ने मीडिया के सामने दावा किया कि यह "अनंत सिंह का प्री-प्लांड मर्डर है।" परिजनों ने शुरुआत में स्पष्ट कर दिया था कि वे तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे जब तक कि नामजद सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता।
मामले की जांच में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब डॉक्टरों की टीम ने दुलारचंद यादव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जारी की। शुरुआती दौर में यह खबर फैली थी कि उनकी मौत गोली लगने से हुई है। हालांकि, रिपोर्ट ने इस धारणा को बदल दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, दुलारचंद यादव को पैर के टखने में गोली लगी थी जो आर-पार निकल गई थी, लेकिन यह चोट घातक नहीं थी।
डॉक्टरों ने पुष्टि की कि दुलारचंद के शरीर पर मारपीट के कई गंभीर चोटों के निशान थे। इसी वजह से यह आशंका मजबूत हुई कि उनकी मौत गोली से नहीं, बल्कि गंभीर शारीरिक आघात या हिंसक मारपीट के कारण हुई है। इस मेडिकल खुलासे ने पुलिस की गुत्थी को उलझा दिया और अनंत सिंह के समर्थकों को पलटवार का मौका दे दिया।
इस एक हत्याकांड में पुलिस अब तक कुल तीन प्राथमिकियाँ (FIR) दर्ज कर चुकी है, जो मोकामा में तनाव की गंभीरता को दर्शाती हैं। एसपी ग्रामीण विक्रम सिंह के अनुसार: पहली FIR मृतक के परिवार की ओर से दर्ज हुई, दूसरी FIR विरोधी पक्ष (अनंत सिंह के खेमों) से दर्ज हुई, जिसमें छह लोगों को नामजद किया गया। तीसरी FIR पुलिस ने स्वयं अज्ञात लोगों के खिलाफ पत्थरबाजी और हिंसा फैलाने के आरोप में दर्ज की है।
परिजनों को समझाने और उच्च-स्तरीय हस्तक्षेप के बाद शुक्रवार को दुलारचंद यादव के शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, जब शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया जा रहा था, तो पंडारक के पास एक बार फिर हिंसक झड़प हुई। यहाँ मौजूद असामाजिक तत्वों ने पत्थरबाजी और गोलीबारी की, जिससे क्षेत्र में तनाव अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया।
शव यात्रा के दौरान हुई हिंसा की पुनरावृत्ति के बाद पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आया। स्थिति को नियंत्रण में रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मोकामा और पंडारक क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे शांति भंग करने वाले तत्वों से कड़ाई से निपटें।
एसपी ग्रामीण विक्रम सिंह ने बताया कि पुलिस इस जटिल मामले की तह तक जाने के लिए सभी आधुनिक तकनीकों का सहारा ले रही है। जांच की दिशा मुख्य रूप से वीडियो फुटेज, सोशल मीडिया क्लिप्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों पर केंद्रित है। पुलिस की एक टीम घटना के वास्तविक दृश्यों को समझने के लिए सीन रिकंस्ट्रक्शन भी कर रही है, ताकि मौत के वास्तविक कारण और हिंसा भड़काने वालों की सटीक पहचान हो सके।
पुलिस ने अब तक तीन प्राथमिकियों के आधार पर कार्रवाई करते हुए दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, नामजद मुख्य अभियुक्त अभी भी फरार हैं। पुलिस का कहना है कि वे लगातार छापेमारी कर रहे हैं और वीडियो फुटेज के आधार पर अन्य अज्ञात हमलावरों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द सभी आरोपियों को कानून के कटघरे में लाया जा सके।
दुलारचंद यादव की हत्या के बाद जब राजनीतिक दबाव चरम पर पहुंचा, तो जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने चुप्पी तोड़ी और सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की 'सोची-समझी साजिश' करार दिया। उनका निशाना सीधे तौर पर अपने पुराने विरोधी और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह और उनकी पत्नी वीणा देवी पर था, जो मोकामा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
अनंत सिंह ने दावा किया कि उनके खिलाफ एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है ताकि उन्हें चुनाव के निर्णायक समय में कानूनी झंझटों में फंसाकर चुनावी मैदान से दूर किया जा सके। इस पलटवार के तहत, अनंत सिंह के समर्थकों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए मृतक दुलारचंद यादव और जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है।
यह हत्याकांड मोकामा की राजनीति में दो ध्रुवों के बीच सीधी जंग बनकर उभरा है, जिसके चलते पूरे बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई।
इस बीच, मामले को संज्ञान में लेते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) से तत्काल विस्तृत रिपोर्ट मांगी, जिससे स्थानीय प्रशासन पर तत्काल कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया। पुलिस ने अब तक दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और वीडियो फुटेज तथा फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर जांच जारी है। मोकामा का यह हिंसक अध्याय एक बार फिर यह साबित करता है कि बिहार की राजनीति में चुनावी रंजिश की कीमत अक्सर जान देकर चुकानी पड़ती है।
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