
बिहारः मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह की जिंदगी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 90 के दशक से लेकर 2004 तक उन्होंने दो बार मौत को करीब से देखा है और दोनों ही बार गोलियों की बारिश में बचकर निकले हैं। आज भी अनंत सिंह अपने सीने और हाथ पर लगी गोलियों के निशान दिखाकर उन दिनों की दर्दनाक यादें साझा करते हैं। लेकिन इन हमलों में सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि उनके पिता चंद्रदीप सिंह की मौत गोली लगने की खबर सुनकर हार्ट अटैक से हो गई।
90 के दशक की उस घटना को अनंत सिंह के जीवन का सबसे काला अध्याय माना जाता है। अनंत सिंह के मुताबिक, रोज़ाना की तरह वह सुबह उठे और अपने घर के अहाते में बैठे थे। मौसम सुहावना था और कुछ भी असामान्य नहीं लग रहा था। लेकिन अचानक इलाके में भारी गोलीबारी शुरू हो गई। अनंत सिंह अक्सर इस घटना का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, "गोलियाँ मेरे घर के पीछे चल रही थीं। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, मुझे दो गोलियां लग चुकी थीं।" एक गोली उनके सीने में और दूसरी उनके हाथ में लगी। खून से लथपथ अनंत सिंह को तुरंत अस्पताल ले जाया गया था।
लेकिन असली सदमा अभी बाकी था। जब यह खबर अनंत सिंह के पिता चंद्रदीप सिंह तक पहुंची कि उनके बेटे को गोली लगी है, तो सदमे से उनका हार्ट अटैक हो गया। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद चंद्रदीप सिंह को नहीं बचाया जा सका। अनंत सिंह के लिए यह दोहरा सदमा था। एक तरफ खुद मौत के मुंह से बचकर निकले थे, दूसरी तरफ पिता को हमेशा के लिए खो दिया। यह घटना अनंत सिंह के व्यक्तित्व को गहरे तक प्रभावित करने वाली साबित हुई।
2004 में एक बार फिर अनंत सिंह के जीवन में मौत की छाया मंडराई। इस बार मामला बिहार पुलिस की STF (स्पेशल टास्क फोर्स) से था। आरोप था कि अनंत सिंह ने अपने मोकामा स्थित घर में कुछ लोगों को शरण दी थी, जिनकी तलाश STF कर रही थी। STF की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, अनंत सिंह के घर में कुछ फरार अपराधी छुपे हुए थे। यह जानकारी मिलने पर STF ने छापेमारी की योजना बनाई।
जब STF की टीम अनंत सिंह के घर पहुंची, तो स्थिति तुरंत तनावपूर्ण हो गई। दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई और यह घंटों तक चलती रही। पूरे इलाके में दहशत का माहौल था। इस लंबी गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी समेत कुल 8 लोगों की मौत हो गई। कहा जाता है कि इस एनकाउंटर में अनंत सिंह को भी गोली लगी थी, लेकिन वे किसी तरह फरार होने में सफल हो गए।
2004 की इस घटना के बाद अनंत सिंह राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में आ गए। बिहार की बदनाम बाहुबली संस्कृति की चर्चा तेज हो गई और अनंत सिंह का नाम सबसे ऊपर था। 8 लोगों की मौत और STF के साथ घंटों की गोलीबारी ने अनंत सिंह को बिहार का सबसे चर्चित अपराधी बना दिया। इस घटना के बाद उनके खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज किए गए।
आज भी अनंत सिंह जब भी 90 के दशक की घटना का जिक्र करते हैं, तो अपने सीने और हाथ पर लगी गोलियों के निशान दिखाते हैं। यह निशान उनके संघर्ष की गवाही देते हैं और बताते हैं कि मौत से वापसी कितनी मुश्किल होती है। इन तमाम घटनाओं के बावजूद अनंत सिंह ने राजनीतिक सफर जारी रखा। मोकामा से विधायक बने और जनता का प्रतिनिधित्व किया। उनका तर्क था कि "मैं भी समाज का हिस्सा हूं और मेरे पास भी राजनीति करने का अधिकार है।"
हालांकि, कानूनी मामलों में फंसने के कारण अनंत सिंह को कई बार जेल भी जाना पड़ा। हत्या, अपहरण और हथियार रखने के मामलों में उन पर गंभीर आरोप लगे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाल ही में वे जेल से रिहा हुए हैं। अनंत सिंह फिर से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए हैं। वे जदयू की टिकट से मोकामा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।