बिहार में ‘HAM’ की राजनीतिक हैसियत बढ़ाने का प्लान, मांझी ने NDA से क्यों की 20 सीट की डिमांड?

Published : Sep 08, 2025, 05:26 PM IST
 Union Minister Jitan Ram Manjhi (Photo/ANI)

सार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले HAM पार्टी ने अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने के लिए एनडीए से कम से कम 20 सीटों की मांग की है। जीतनराम मांझी चाहते हैं कि पार्टी मान्यता प्राप्त दल बने और राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व पाए। 

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) या ‘HAM’ पार्टी की राजनीतिक सक्रियता बढ़ती जा रही है। पार्टी के संरक्षक एवं केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने एनडीए गठबंधन से अपनी पार्टी के लिए कम से कम 20 सीटों की मांग की है। यह मांग पार्टी की मान्यता प्राप्त दल बनने की कवायद का अहम हिस्सा है।

कम से कम 20 सीटें चाहिए, तभी मिलेगी मान्यता

जीतनराम मांझी के अनुसार, मान्यता प्राप्त दल बनने के लिए छह प्रतिशत वोट प्रतिशत और सात से आठ सीटें जीतना जरूरी होता है। इसके लिए जरूरी है कि ‘HAM’ पार्टी कम से कम 20 सीटों पर चुनाव लड़े और जीत हासिल करे ताकि पार्टी की राजनीतिक हैसियत मजबूत हो सके।

2020 में मिली थी 4 सीटें, अब बढ़ाना है दायरा

पिछले विधानसभा चुनाव में ‘HAM’ को बिहार विधानसभा में चार सीटें मिली थीं, जिनमें से 3 सीटें मगध क्षेत्र की थीं। इस बार मांझी अपनी पार्टी की ताकत बिहार के अन्य जिलों तक भी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह राजनीतिक मांग एनडीए के अंदर सीट बंटवारे को लेकर हलचल भी तेज कर रही है।

राज्यसभा में प्रतिनिधि की भी मांग

मांझी ने राज्यसभा में अपनी पार्टी का प्रतिनिधि भेजे जाने की भी मांग कई बार की है। उनका कहना है कि जब तक पार्टी को मान्यता प्राप्त दल का दर्जा नहीं दिया जाता, तब तक वे संसद के उच्च सदन में भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहते हैं। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि मांझी की यह मांग एनडीए गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती होगी। भाजपा और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा पहले से ही जटिल है, ऐसे में ‘HAM’ की 20 सीटों की मांग से गठबंधन के समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।

मान्यता प्राप्त दलों के प्रमुख फायदे

  • स्थायी चुनाव चिन्ह (Election Symbol) का अधिकार
  • न्यूनतम नामांकन प्रस्तावकों की संख्या
  • सरकारी भवन और कार्यालय का आवंटन
  • चुनाव आयोग की बैठकों में भागीदारी
  • प्रसारण और प्रचार के लिए सरकारी मीडिया में समय
  • मतदाता सूची में प्राथमिकता
  • विधायकों और सांसदों की संख्या में विशिष्ट अधिकार

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