बीते दिनों रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बाद बिहार की गंगा जमुनी तहजीब का ताना-बाना बिखरा-बिखरा सा लगा। अब उसी बिहार से सामाजिक सद्भाव के ताने-बाने को मजबूत करने वाली एक बड़ी खबर आई है।
किशनगंज। बीते दिनों रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बाद बिहार की गंगा जमुनी तहजीब का ताना-बाना बिखरा-बिखरा सा लगा। राज्य के कई जिलों में अशांति इस कदर फैली कि इंटरनेट तक बंद करना पड़ा। अब उसी बिहार से सामाजिक सद्भाव के ताने-बाने को मजबूत करने वाली एक बड़ी खबर आई है। दो भाइयों ने अपने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए लाखों रुपये की कीमती जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर दी। हिंसा के शोलों के बीच उनका यह कदम शीतल हवा के झोंके सा है, जो एक मिसाल बन गया। जिले भर में इसकी चर्चा है। कहा जा रहा है कि बच्चों ने ऐसे समय में यह कदम उठाकर इतिहास रच दिया।
मुस्लिम भाइयों ने पेश की सामाजिक सद्भाव की मिसाल
किशनगंज जिले के टाउन थाना इलाके के रूईधासा स्थित वाजपेई कॉलोनी में दो मुस्लिम भाइयों ने सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश की। हनुमान जयंती के दिन मंदिर निर्माण के लिए कट्ठा भर जमीन दान स्वरूप दी। बाकायदा मंदिर की आधारशिला रखी गई, ध्वज लगाया गया। मुस्लिम भाइयों फैज और फजल अहमद का कहना है कि उनके पिता जेड अहमद की यह इच्छा थी।
पिता का वादा निभाने से पीछे नहीं हटे दोनों बेटे
पिता ने मोहल्ले के लोगों से कहा था कि वह मंदिर बनाने के लिए जमीन दान में देंगे। पर अचानक उनका निधन हो जाने की वजह से उनका वादा धरा का धरा रह गया। मोहल्ले के लोगों ने मरहूम जेड अहमद के वादे की बात उनकी पत्नी और बेटों को बताई। खास बात यह है कि यह जानकारी होने के बाद मुस्लिम समुदाय के मरहूम जेड अहमद के बेटे अपने पिता का वादा निभाने से पीछे नहीं हटें और श्री हनुमान जन्मोत्सव के पावन पर्व यानि 6 अप्रैल गुरुवार के दिन लगभग 4 डिसमिल जमीन के दान पत्र पर दस्तखत किए। धूमधाम से मंदिर की आधारशिला का काम सम्पन्न हुआ। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग इसके साक्षी बने।
पूरी की पिता की अंतिम इच्छा
मरहूम जेड अहमद के बेटे फैज का कहना है कि यह अब्बा की अंतिम इच्छा थी। सभी संप्रदाय के लोगों को मिलजुल कर रहना चाहिए। उन्हें एक दूसरे की आवश्यकता पड़ती है। उनके भाई फजल अहमद कहते हैं कि मंदिर बनने का फायदा सबको होगा। अब तक कॉलोनी में मंदिर नहीं था।