कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने चुनावी सियासत को बाय-बाय कह दिया है। अब वह लोकसभा और विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर अवगत भी करा दिया है।
मधुबनी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने चुनावी सियासत को बाय-बाय कह दिया है। अब वह लोकसभा और विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर अवगत भी करा दिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि अब वह पार्टी में एक कार्यकर्ता की तरह काम करना चाहते हैं। वह बिहार से सांसद के अलावा केंद्र सरकार में मत्री रह चुके हैं। बिहार सरकार में मंत्री और बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहें और कई राज्यों के प्रभारी भी बनाए गए थे। बताया जा रहा है कि पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की वजह से वह पार्टी में काफी समय से हाशिये पर थे। इसी वजह से उन्होंने यह निर्णय लिया है।
लोकसभा और विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे
आपको बता दें कि शकील अहमद पिछले चुनाव में पार्टी के खिलाफ ही चुनाव मैदान में उतरे थे। उसके बाद फिर उन्हें पार्टी ज्वाइन कराई गई। पर उसके बाद उनकी स्थिति पहले वाली नहीं रही। वह पार्टी में हमेशा हाशिये पर ही दिखे। शकील अहमद ने रविवार को बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर अपने इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने पिछले चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने के कारण भी बताए। शकील अहमद ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2009 और 2014 में मधुबनी सीट से हार मिली थी। उसके बाद 2019 के चुनाव में गठबंधन में से कोई भी इस सीट को लेने को तैयार नहीं था। वर्ष 2019 के चुनाव को लेकर वह आशान्वित थे। पर यह सीट वीआईपी पार्टी के खाते में चली गई। इसका उन्हें दुख हुआ और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इसके बाद उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में उनके नहीं रहने की वजह से संभव है कि मधुबनी सीट गठबंधन में शामिल कांग्रेस को मिल जाए। उन्होंने कहा कि इस सीट पर गठबंधन प्रत्याशी को उनका समर्थन रहेगा।
मधुबनी लोकसभा सीट से रह चुके हैं सांसद
शकील अहमद वर्ष 1998 और 2004 में मधुबनी लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। मनमोहन सिंह सरकार में वर्ष 2004 में संचार, सूचना प्रौद्योगिकी और गृह राज्य मंत्री भी रहें। वर्ष 1985, 1990 और 2000 में एमएलए भी रह चुके हैं। बिहार में वह कांग्रेस की कमान भी संभाल चुके हैं।