
Mahnar Assembly Election 2025: वैशाली जिले की महनार विधानसभा सीट (Mahnar Vidhan Sabha Seat) बिहार की सबसे दिलचस्प और रहस्यमय सीटों में से एक रही है। यहां का वोटर हर चुनाव में अलग फैसला देता है और किसी पार्टी को लगातार मौका नहीं देता। 2010 में बीजेपी (BJP), 2015 में जेडीयू (JDU) और 2020 में आरजेडी (RJD) के बाद 2025 में फिर से JDU की जीत इसका सबसे बड़ा सबूत है। जेडीयू प्रत्याशी उमेश संह कुशवाहा ने 98050 वोट पाकर 38558 वोटों से शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के रविंद्र कुमार सिंह को हराया, जिन्हें उनके मुकाबले कुल 59492 वोट मिले। निर्दलीय प्रत्याशी संजय कुमार राय को 14153 वोटों से संतोष करना पड़ा।
2020 के महनार विधानसभा चुनाव (Mahnar Assembly Election 2020) में लालू यादव की पार्टी आरजेडी (RJD) की बीना सिंह (Bina Singh) ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने जेडीयू (JDU) के उमेश सिंह कुशवाहा को 7,947 वोटों से हराया। बीना सिंह को 61,721 वोट मिले, जबकि उमेश सिंह कुशवाहा को 53,774 वोट पर संतोष करना पड़ा। तीसरे स्थान पर एलजेपी (LJP) के रवींद्र कुमार सिंह रहे जिन्हें 31,315 वोट मिले। इस चुनाव ने साफ कर दिया कि महनार की जनता हर बार नया फैसला करती है।
2015 में महनार विधानसभा सीट पर जेडीयू (JDU) के उमेश सिंह कुशवाहा (Umesh Singh Kushwaha) ने बीजेपी (BJP) उम्मीदवार डॉ. अच्युतानंद को करारी शिकस्त दी थी। उमेश सिंह ने 69,825 वोट पाकर जीत हासिल की, जबकि डॉ. अच्युतानंद को 43,370 वोट मिले। इस चुनाव ने महागठबंधन को मजबूत किया और जेडीयू की पकड़ को भी साबित किया।
2008 परिसीमन के बाद 2010 में हुए पहले चुनाव में भाजपा (BJP) ने महनार सीट पर कब्जा जमाया। बीजेपी प्रत्याशी डॉ. अच्युतानंद (Dr. Achyutanand) ने एलजेपी (LJP) के रामा किशोर सिंह को 2,489 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। उन्हें 29,754 वोट मिले, जबकि रामा किशोर सिंह को 27,265 वोट हासिल हुए। यह जीत नीतीश कुमार और बीजेपी की गठबंधन राजनीति के लिए बेहद अहम थी।
महनार विधानसभा सीट की सबसे बड़ी खासियत इसका जातीय समीकरण है। यहां अनुसूचित जाति की आबादी 21.54% है, जो हर चुनाव के परिणाम को प्रभावित करती है। इसके अलावा यादव, कुशवाहा और मुस्लिम वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि महनार एक “मिनी इंडिया” है, जहां जनता सिर्फ जाति नहीं, बल्कि प्रत्याशी का काम भी देखती है। यही वजह है कि यहां कोई भी पार्टी लगातार जीत नहीं पाती।
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