मखदुमपुर विधानसभा चुनाव 2025: आरजेडी के सुबेदार दास ने दर्ज की जीत

Published : Oct 24, 2025, 03:47 PM IST
Makhdumpur Assembly constituency

सार

2025 के मखदुमपुर विधानसभा चुनाव में राजद के सूबेदार दास ने जीत हासिल की। ​​जहानाबाद जिले की यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित और बेहद संवेदनशील सीट हमेशा से एक बड़ी राजनीतिक परीक्षा मानी जाती रही है। 

Makhdumpur Assembly Election 2025: मखदुमपुर विधानसभा चुनाव 2025 (Makhdumpur Assembly Election 2025) से आरजेडी के सुबेदार दास की जीत। जहानाबाद जिले की सबसे चर्चित और संवेदनशील सीटों में से एक है। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और हमेशा से बड़े नेताओं और दलों के लिए सियासी परीक्षा का मैदान रही है। 

मखदुमपुर चुनाव 2010: मांझी का जादू चला

2010 के चुनाव में जीतन राम मांझी (JDU) ने यहां से 38,463 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। उन्होंने धर्मराज पासवान (RJD) को हराया, जिन्हें 33,378 वोट मिले। करीब 5,085 वोटों के अंतर से मिली यह जीत मांझी के राजनीतिक करियर में अहम साबित हुई, क्योंकि बाद में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने।

2015 का चुनाव: राजद की दमदार वापसी

2015 में राजद ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की। सूबेदार दास (RJD) ने 66,631 वोट लेकर जीत दर्ज की। उन्होंने HAM नेता जीतन राम मांझी को हराया, जिन्हें सिर्फ 39,854 वोट मिले। यहां जीत का अंतर 26,777 वोटों का रहा। यह हार मांझी के लिए बड़ा झटका थी।

2020 का चुनाव: सतीश कुमार का परचम

2020 में मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया। राजद प्रत्याशी सतीश कुमार ने 71,571 वोट पाकर शानदार जीत हासिल की। उन्होंने HAM प्रत्याशी देवेंद्र कुमार को हराया, जिन्हें 49,006 वोट मिले। जीत का अंतर 22,565 वोटों का रहा। इस चुनाव में BSP प्रत्याशी व्यास मुनि दास को 5,025 वोट और निर्दलीय धर्मेंद्र कुमार को 3,200 वोट मिले। कुल मतदान प्रतिशत 52.01% रहा।

नोट: 8 आपराधिक मुकदमों में नामजद आरजेडी विधायक सतीश कुमार ग्रेजुएशन किए हुए हैं। उनके पास कुल चल-अचल संपत्ति 22.55 लाख रुपए की है। उन पर कोई कर्जा नहीं है।

2025 में समीकरण क्या कह रहे हैं?

मखदुमपुर विधानसभा सीट पर हर बार सत्ता और विपक्ष दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर रहती है। यहां का जातीय समीकरण भी अहम है, क्योंकि दलित, पासवान और मांझी समाज के वोटरों का बड़ा दबदबा है। अब सवाल है कि 2025 में क्या राजद (RJD) एक बार फिर अपना किला बचा पाएगा, या फिर HAM (जीतन राम मांझी की पार्टी) वापसी करेगी? यह मुकाबला एक बार फिर बेहद रोमांचक और रहस्यमयी होने वाला है।

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