
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सबसे दिलचस्प मुकाबला इस बार नवादा जिले की हिसुआ विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। यहां सियासत अब सिर्फ़ विचारधारा की नहीं, बल्कि परिवार के भीतर की जंग में बदल चुकी है। एक ओर कांग्रेस की मौजूदा विधायक नीतू कुमारी, तो दूसरी ओर उनकी देवरानी और कभी उनकी सहयोगी रहीं आभा देवी अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खेमे में नज़र आ रही हैं। दोनों ही एक ही परिवार की बहुएं हैं और दोनों का लक्ष्य एक ही है अपने ससुर, स्वर्गीय आदित्य सिंह की सियासी विरासत को अपने नाम करना।
हिसुआ की राजनीति में आदित्य सिंह का नाम दशकों तक सबसे प्रभावशाली नेताओं में रहा। छह बार विधायक रहने के दौरान उन्होंने इस क्षेत्र में विकास और संपर्क दोनों से अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी।
अब उनकी बहुएं नीतू कुमारी और आभा देवी दोनों ही उसी प्रभाव की वारिस बनना चाहती हैं, लेकिन अलग-अलग रास्तों से। नीतू कुमारी कांग्रेस के टिकट पर लगातार दूसरी बार मैदान में हैं, जबकि आभा देवी, जो कभी कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रही थीं, अब बीजेपी प्रत्याशी अनिल सिंह के लिए प्रचार कर रही हैं। यह पारिवारिक समीकरण अब पूरे नवादा की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है।
सिर्फ़ पांच साल पहले, यानी 2020 के चुनाव में, आभा देवी अपनी जेठानी नीतू कुमारी के लिए कंधे से कंधा मिलाकर प्रचार करती दिखी थीं। तब दोनों को “संगठन की मजबूत जोड़ी” कहा जाता था। लेकिन बीते तीन सालों में दोनों के बीच मतभेद गहराते गए। स्थानीय नेताओं के मुताबिक, विधायक बनने के बाद संगठनात्मक फैसलों और नेतृत्व शैली को लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ा। अब वही मतभेद खुलकर सियासी बगावत में बदल गए हैं।
शुक्रवार को आभा देवी ने खुले मंच से BJP उम्मीदवार अनिल सिंह के समर्थन में प्रचार किया और कहा, “अब हिसुआ में जनता को परिवारवाद नहीं, विकास चाहिए।” बीजेपी खेमे से जुड़े मंच पर बोलते हुए आभा देवी ने अपनी जेठानी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, “मैंने कांग्रेस में रहते हुए नीतूजी को हरसंभव सहयोग दिया, लेकिन पिछले पांच सालों में जनता निराश हुई है। अब हिसुआ में नई शुरुआत की ज़रूरत है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका बीजेपी के साथ जाना “विचारधारा नहीं, विकास का चुनाव” है।
इस पारिवारिक सियासी जंग पर कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी ने कहा, “मैंने हमेशा संगठन और जनता दोनों को प्राथमिकता दी है। कोई पार्टी छोड़कर गया है तो वह उसका निर्णय है। जनता सब देख रही है, और जवाब वोट से देगी।” नीतू कुमारी ने दावा किया कि कांग्रेस ने उन्हें टिकट इसलिए दिया क्योंकि उन्होंने पांच सालों में क्षेत्र के विकास पर काम किया है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए कई योजनाएं चलाईं।
हिसुआ सीट पर यह जंग केवल कांग्रेस और बीजेपी की नहीं, बल्कि आदित्य सिंह की विरासत की असली उत्तराधिकारी कौन होगी, यह सवाल भी बड़ा हो गया है। आदित्य सिंह छह बार विधायक रहे और इलाके में सम्मानित नाम थे। उनके निधन के बाद घर की राजनीति में दोनों बहुओं ने अपनी-अपनी जमीन बनानी शुरू की। पहले दोनों एक ही पार्टी में थीं, लेकिन अब विचार और वफादारी की रेखा ने परिवार को दो हिस्सों में बांट दिया है।
हिसुआ में यादव, कुर्मी और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2020 में कांग्रेस ने इन समुदायों का समर्थन हासिल कर जीत दर्ज की थी। अब बीजेपी के साथ आभा देवी के जुड़ने से “परिवार वाला” वोट बैंक दो हिस्सों में बंट सकता है।
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