
पटना। क्या आप जानते हैं कि नीतीश कुमार, जो आज बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर 10वीं बार शपथ ले चुके हैं, उनका एक छोटा सा नेवी इंटरव्यू उनके पूरे राजनीतिक करियर की दिशा बदल सकता था? पटना इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते समय, नीतीश का सपना इंडियन नेवी में शामिल होने का था। शुरुआती रिक्रूटमेंट राउंड में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन फाइनल इंटरव्यू में उनकी इंग्लिश की कमजोरी ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। यह छोटी सी घटना उनके लिए एक बड़ा सबक और बिहार की राजनीति में उनका पहला बड़ा मोड़ साबित हुई। आज वह अपने ऑफिशियल काम में ग्रामर की छोटी-छोटी गलतियों तक पकड़ने के लिए जाने जाते हैं और NDA की नई सरकार में 10वीं बार CM बनकर रिकॉर्ड बना चुके हैं।
नीतीश कुमार और उनके क्लासमेट अरुण कुमार सिन्हा को शुरुआती स्क्रीनिंग में चुना गया था। लेकिन रुड़की में फाइनल इंटरव्यू के दौरान उन्हें सेकंड-क्लास ट्रैवल वारंट दिया गया। नेवी ऑफ़िसर्स ने उनकी “बिहारी-स्टाइल इंग्लिश” को ठीक से नहीं समझा, और यही कारण बना रिजेक्शन का। क्या आप सोच सकते हैं कि सिर्फ़ भाषा की कमी ने उनके नेवी के सपने पर रोक लगा दी?
नीतीश कुमार ने हमेशा अपने स्कूल के दिनों का अफ़सोस जताया, जब उन्होंने हेडमास्टर तुलसी दास मुखर्जी से इंग्लिश सीखने का मौका चूक दिया। मुखर्जी के समय पर रिटायर होने के कारण नीतीश को वह शिक्षा नहीं मिली, जो उनके करियर में शुरुआती मदद कर सकती थी।
नीतीश ने हार नहीं मानी। कॉलेज के दिनों में उन्होंने इंग्लिश अख़बार पढ़े, पॉलिटिकल थ्योरी और मार्क्स-एंगेल्स की किताबों को डिक्शनरी के साथ समझा। धीरे-धीरे उन्होंने भाषा पर पकड़ बना ली। आज नीतीश ऑफ़िशियल ड्राफ्ट में ग्रामर की छोटी-छोटी गलतियां पकड़ने के लिए जाने जाते हैं।
JD(U) चीफ नीतीश कुमार ने 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। NDA की जीत और नई कैबिनेट फॉर्मूले में BJP और जेडीयू के मंत्री पदों का बंटवारा स्पष्ट किया गया। BJP को 15, जेडीयू को 13 और अन्य पार्टियों को क्रमशः दो, एक और एक पद मिले।
किस्मत ने उन्हें राजनीति की राह दिखाई, और बिहार की राजनीति में उन्होंने रिकॉर्ड स्थापित किया। अगर नेवी इंटरव्यू सफल हो गया होता, तो क्या बिहार की राजनीतिक तस्वीर आज वैसी होती? यह सवाल हमेशा लोगों के मन में रहेगा।
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