तेजस्वी यादव के कैश वाले वादों पर नीतीश का शिवधनुष, महिलाओं को 27000 करोड़ बांटने को तैयार बिहार सरकार

Published : Sep 02, 2025, 09:22 AM IST
nitish kumar and tejashwi yadav

सार

बिहार चुनाव से पहले वादों की जंग तेज हो गई है। तेजस्वी यादव ने महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने की ‘माई बहन मान’ योजना का ऐलान किया, तो नीतीश सरकार ने 2.70 करोड़ परिवारों की महिलाओं के लिए 'महिला रोजगार योजना’ शुरू कर दी।

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कई बड़े वादे किए हैं, जिनमें महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये नकद देने वाली 'माई बहन मान' योजना भी शामिल है। ऐसे वादों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है, लेकिन इसके जवाब में बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू करके विपक्ष के वादों पर करारा प्रहार किया है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने घोषणा की है कि वह चुनाव से पहले बिहार के 2.70 करोड़ परिवारों की महिलाओं के स्वरोजगार के लिए 10,000 रुपये की पहली किस्त सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करने जा रही है। इसके तहत कुल 27,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। साथ ही, महिलाओं को छह महीने बाद नौकरी या व्यवसाय के सफल संचालन की समीक्षा के बाद 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी।

वादों की लगी होड़

तेजस्वी यादव ने पेंशन बढ़ाने, मुफ़्त भर्ती परीक्षा आयोजित करने, मुफ़्त परिवहन जैसी बड़ी घोषणाएँ की हैं, जिनमें महिलाओं को मासिक नकद राशि देने वाली 'माँ बहन मान' योजना प्रमुख है। उन्होंने सामाजिक न्याय और गरीब तबके के सशक्तिकरण को अपने चुनावी एजेंडे का हिस्सा बनाया है।

इसके जवाब में, नीतीश कुमार सरकार ने दिखा दिया है कि वह भी नकद राशि देने में पीछे नहीं है और बड़े पैमाने पर महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करके सत्ता समीकरण को प्रभावित करने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जो न केवल नकद हस्तांतरण के ज़रिए, बल्कि स्वरोज़गार के ज़रिए भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का वादा करती है।

योजना की विशेषताएँ

इस योजना की खास बात यह है कि यह न केवल तत्काल नकद सहायता प्रदान करेगी, बल्कि महिलाओं को बेहतर रोज़गार शुरू करने में भी आर्थिक मदद करेगी। सरकार इस योजना को मज़बूत बनाने के लिए पूरे राज्य में इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रही है। हालाँकि, इस योजना के सफल क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे ज़मीन, कच्चा माल, मार्केटिंग और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करना। ऐसे में, योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं।

राजनीतिक समीकरणों पर प्रभाव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि बिहार में सत्ता के लिए नकद वादों की होड़ अब चुनावी रणनीति का एक अहम हिस्सा बन गई है। तेजस्वी यादव के बड़े-बड़े वादों ने जहाँ विपक्ष का समर्थन मज़बूत किया है, वहीं नीतीश सरकार की महिला रोज़गार योजना उनके नकद वादों को कड़ी टक्कर देने की एक कोशिश है।

नीतीश सरकार का यह बड़ा बजट और योजना शहरी और ग्रामीण महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ का आश्वासन देती है, जिसका मतदान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। पिछले अनुभवों से पता चला है कि नकद सहायता और मुफ़्त राशन जैसी योजनाएँ चुनावी जीत में निर्णायक साबित हुई हैं।

महिलाओं से नकद वादों की यह होड़ 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति का सबसे बड़ा आकर्षण बन गई है। तेजस्वी यादव के नकद वादे और नीतीश कुमार की महिला रोज़गार योजना, दोनों ही महिलाओं को सशक्त बनाने का वादा करते हैं। आने वाले महीनों में यह देखने लायक होगा कि कौन सी योजना मतदाताओं के दिल तक पहुँचती है और बिहार के राजनीतिक भविष्य को नया आकार देती है।

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