
पटना। नालंदा विश्वविद्यालय के पास एक तालाब से करीबन 1200 साल पुरानी पत्थर की दो मूर्तियां मिली हैं। जब ग्रामीणों को मूर्तियों के बारे में पता चला तो वह उन मूर्तियों को मंदिर में रखने की योजना बना रहे थे। अफसरों को जब इस बात की भनक लगी तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया और अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने राज्य सरकार से मूर्तियों को उन्हें सौंपने का अनुरोध किया है।
एएसआई ने राज्य सरकार से मूर्तियों को सौंपने का किया अनुरोध
एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि मूर्तियां मिलने के बाद यह पता चला कि स्थानीय ग्रामीणों को मूर्तियों की जानकारी हुई है और वह उन मूर्तियों के लिए मंदिर बनाने की योजना बना रहे हैं। इसकी वहां तैनात अधिकारियों को जब भनक लगी तो उन्होंने पुलिस को इस बात की सूचना दी। एएसआई के अधिकारी उन मूर्तियों को नालंदा संग्रहालय में रखना चाहते हैं। राज्य सरकार से इस बात का अनुरोध भी किया गया है कि वह मूर्तियों को इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट, 1878 के प्रावधानों के तहत उन्हें सौंपे।
10 रुपये से ज्यादा कीमत की कलाकृति, सरकारी खजाने में करनी होगी जमा
एएसआई के अधिकारी का कहना है कि यह देखा गया है कि जमीन के नीचे पाये जाने वाले खजाने या पुरावशेष को स्थानीय लोग मंदिर या धार्मिक स्थानों पर लाते हैं। पर जब ऐसी कोई कलाकृति या पुरावशेष जमीन के नीचे पाया गया हो, जिसका मूल्य 10 रुपये से ज्यादा का हो, उन्हें खोजकर्ता द्वारा भारतीय ट्रेजर ट्रोव एक्ट के मुताबिक निकटतम सरकारी खजाने में जमा किया जाना चाहिए। इस बाबत संबंधित जिले के कलेक्टर को यह अधिकार प्राप्त है कि वह सरकार की ओर से उस खजाने का अधिग्रहण कर सके।
पहले भी राज्य सरकार को इस बाबत लिखा गया था पत्र
एएसआई के अधिकारी का कहना है कि उनके द्वारा पहले भी राज्य सरकार को इस बाबत पत्र लिखा गया था। जिसमें कहा गया था कि अधिनियम के बारे में सभी डीएम को अवगत कराने का अनुरोध किया गया था।
इस गांव के तालाब में पायी गई मूर्तियां
दरअसल, मूर्तियां इसी सप्ताह की शुरुआत में सरलीचक गांव के तारसिंह तालाब से गाद निकालने के दौरान मिली थीं। इसी तालाब में एक साल पहले पाल काल की नाग देवी की 1,300 साल पुरानी प्रतिमा मिली थी। उस प्रतिमा को नालंदा के ही एएसआई संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। हालांकि एएसआई की तरफ से मूर्तियों का विवरण नहीं दिया गया है।
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