
पटना। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक टीम ने नौकरी के बदले जमीन (लैंड फॉर जॉब) घोटाले के मामले में सोमवार को पूर्व रेल मंत्री लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी से पूछताछ की। राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर सीबीआई की टीम करीब चार घंटे तक रही। आपको बता दें कि सीबीआई इस मामले में पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। बताया जा रहा है कि जांच एजेंसी लालू यादव और मीसा भारती से भी मंगलवार को पूछताछ कर सकती है, उनसे दिल्ली में पूछताछ हो सकती है। उधर राबड़ी देवी से जब सीबीआई के पूछताछ के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह सब चलता रहता है।
सब चलता रहता है: राबड़ी
विधानसभा में बजट सत्र भी चल रहा है, राबड़ी देवी को विधानपरिषद की कार्यवाही में शामिल होना था। पूछताछ खत्म होने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव आए और अपनी मॉं राबड़ी देवी को ले गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूछताछ के दौरान सीबीआई ने उनके आवास पर छापेमारी और तलाशी की कार्यवाही नहीं की है। जांच एजेंसी ने पूर्व सीएम राबड़ी देवी को समन भेजा था। पहले यह पूछताछ सीबीआई कार्यालय में होनी थी। पर बाद में जांच टीम आवास पर ही पूछताछ के लिए तैयार हो गई। घोटाले के आरोपियों को विशेष अदालत पहले ही 15 मार्च को पेश होने के लिए समन भेज चुकी है। सीबीआई टीम लैंड फॉर जॉब घोटाले में आगे की जांच को लेकर पूर्व सीएम राबड़ी देवी से पूछताछ करने पहुंची थी।
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि आवास पर सीबीआई ने पूछताछ की। हम लोग निकल गए थे। उसके बाद सीबीआई टीम के आने की जानकारी मिली। हम लोग निश्चिंत हैं, हर महीने जांच एजेंसी के लोग आते रहते हैं। यह सिलसिला 2024 तक चलता रहेगा। हम लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, जब कुछ गलत नहीं हुआ है, तो हम लोगों को उसकी चिंता नहीं है।
राजद समर्थकों का धरना
सीबीआई टीम के पूछताछ के लिए पहुंचते ही राजद समर्थक राबड़ी आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। समर्थकों का कहना है कि लालू यादव इलाज के बाद थोड़े से सक्रिय हुए तो केंद्र सरकार डर गई। होली की तैयारी में सब लोग जुटे हैं, पर बीजेपी वालों ने जांच के लिए सीबीआई का दल भेजा है। जनता वर्ष 2024 के चुनाव में इसका जवाब देगी।
ये हैं आरोप
आपको बता दें कि यह मामला यूपीए सरकार के समय का है, जब वर्ष 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। उन पर आरोप है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ग्रुप-डी के पदों पर नियुक्तियां की और उसके बदले नौकरी पाने वालों की तरफ से उनके परिवार के सदस्यों के नाम जमीन की गई। ग्रुप डी के पदों पर नियुक्ति पाने वालों ने एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कम्पनी को भी जमीन ट्रांसफर की थी, जो कंपनी बाद में लालू परिवार के सदस्यों के कब्जे में आ गई।
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