
Pitru Paksha Mela 2025: बिहार के गया जी में 6 सितंबर से 21 सितंबर तक पितृ पक्ष मेले का आयोजन होना है। इसे लेकर प्रशासन अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। इस बीच, खबर यह भी है कि अगर कोई व्यक्ति किसी जरूरी काम में व्यस्त है और उसके पास गया जी आने का समय नहीं है, तो वह घर बैठे पिंडदान कर सकता है।
विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेला 2025, बिहार के गयाजी में 6 सितंबर से शुरू होने जा रहा है, जो 21 सितंबर तक चलेगा। यह मेला अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति की कामना के लिए पिंडदान करने पहुंचते हैं। इस पवित्र स्थल पर पिंडदानी न केवल भारत के कोने-कोने से, बल्कि विदेशों से भी आते हैं।
गयाजी के तीन प्रमुख वेदियों, विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट और फल्गु नदी पर ऑनलाइन पिंडदान की प्रक्रिया पूरी की जाती है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित इस अनुष्ठान में सभी धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। जानकारी के अनुसार, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने ऑनलाइन पिंडदान की सुविधा शुरू की है। जिसके तहत पिंडदानी घर बैठे अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान कर सकते हैं। इस सुविधा में पंडा, पुजारी, पूजा सामग्री और अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाएं शामिल हैं। ऑनलाइन पिंडदान की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई जाती है, जो पिंडदानी को पेन ड्राइव के माध्यम से उसके पते पर भेज दी जाती है।
इधर, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने ऑनलाइन पिंडदान के लिए 23 हजार रुपये का पैकेज तय किया है। इस पैकेज में सभी धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आवश्यक सामग्री, पंडा जी और पुजारी की सेवाएँ शामिल हैं। निगम की वेबसाइट पर 25 या 26 अगस्त से ऑनलाइन बुकिंग शुरू होगी। यह पैकेज न केवल भारत में रहने वालों के लिए, बल्कि विदेशों में रहने वाले पिंडदानियों के लिए भी उपलब्ध है, जो गया जी नहीं पहुंच सकते।
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गया जी को मोक्ष की भूमि के रूप में जाना जाता है, जहां पिंडदान से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। पितृ पक्ष मेले का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दौरान किया गया पिंडदान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। गयाजी में वैसे तो साल भर पिंडदान होता रहता है, लेकिन पितृ पक्ष मेले का महत्व अद्वितीय है। इस दौरान लाखों पिंडदानी अपने पूर्वजों के निमित्त पिंडदान करने पहुंचते हैं, जिससे यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।
पितृ पक्ष मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत भी है। यह मेला भारतीय संस्कृति में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है। ऑनलाइन पिंडदान की सुविधा ने इस परंपरा को आधुनिक तकनीक से जोड़कर और अधिक सुलभ बना दिया है। गयाजी का यह मेला हर साल लाखों लोगों को जोड़ता है, जो अपने पूर्वजों के प्रति अपनी आस्था और कर्तव्य को पूरा करने के लिए यहां आते हैं। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (बीएसटीडीसी) की आधिकारिक वेबसाइट bstdc.bihar.gov.in पर इसकी बुकिंग की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। बुकिंग 25 अगस्त या 26 अगस्त से शुरू होगी।
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