
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनावी अभियान को धार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाल लिया है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को अपनी पहली रैली की शुरुआत समस्तीपुर जिले के कर्पूरी ग्राम से की। यह फैसला सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति के सबसे बड़े वोट बैंक अति पिछड़ा वर्ग (EBCs) को साधने का एक बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समस्तीपुर स्थित कर्पूरी ग्राम पहुंचना और जननायक कर्पूरी ठाकुर की मूर्ति पर माल्यार्पण करना बिहार की सियासत में एक साफ संदेश देता है। कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है, अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से आते थे। हालिया जातीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, EBCs बिहार में 36.02% आबादी के साथ सबसे बड़ा समुदाय है। इस समुदाय के वोटर्स को बिहार के नतीजों पर सीधा प्रभाव डालने वाला 'साइलेंट वोटर' माना जाता है।
कर्पूरी ग्राम से अभियान शुरू करके पीएम मोदी ने यह संदेश दिया है कि NDA सरकार जननायक कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा को आगे बढ़ा रही है और EBC समुदाय का कल्याण उसकी प्राथमिकता में है। बता दें कि इसी साल 23 जनवरी 2024 को कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' देने की घोषणा की गई थी, जिसके चलते बिहार का सियासी समीकरण तेजी से बदला। इस फैसले के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांचवीं बार राजनीतिक स्विच करते हुए एक बार फिर बीजेपी के साथ हाथ मिलाया और नौवीं बार मुख्यमंत्री बने।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी कर्पूरी ठाकुर का उल्लेख किया और कहा, "हमारी सरकार जननायक कर्पूरी ठाकुर को प्रेरणापुंज मानती है। कर्पूरी ठाकुर के दिखाए सामाजिक न्याय के रास्ते को NDA ने सुशासन का आधार बनाया है।" उन्होंने गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के कल्याण के लिए काम करने की बात दोहराई।
समस्तीपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने लालू परिवार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने 'जंगलराज' के मुद्दे पर आरजेडी को घेरते हुए कहा कि 2005 के अक्टूबर महीने में ही बिहार ने जंगलराज से मुक्ति पाई थी।
पीएम मोदी ने लालू परिवार पर हजारों करोड़ के घोटाले में जमानत पर होने का आरोप लगाते हुए कहा, "इन लोगों ने तो जननायक की उपाधि भी चोरी कर ली है। इन लोगों ने बिहार के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।" उन्होंने दावा किया कि राजद ने पिछली यूपीए सरकार के दौरान बिहार के विकास को बाधित किया और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए 10 साल तक बिहार के लोगों से बदला लिया।
बिहार की सियासत में EBC वोटर्स का झुकाव लंबे समय से नीतीश कुमार और NDA की तरफ रहा है। 2005 में नीतीश कुमार ने इसी वोट बैंक को साधकर लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन को खत्म किया था।
इधर, महागठबंधन (INDIA) भी इस वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश में है। आरजेडी ने कर्पूरी ठाकुर के दौर से राजनीति करते आए मंगनी लाल मंडल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अतिपिछड़ा वर्ग को अपने पाले में करने का दांव चला है। हालांकि, पीएम मोदी का कर्पूरी ग्राम दौरा इस समुदाय को यह स्पष्ट संकेत देता है कि उनका असली हितैषी NDA ही है।
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