
पटनाः बिहार की सियासत में एक बार फिर धर्म और जाति का समीकरण उबाल मार रहा है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के बाद से ही महागठबंधन के अंदर हलचल तेज हो गई है। इसी बीच पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने शुक्रवार को एक ट्वीट में बड़ा बयान दिया कि अगर INDIA गठबंधन की सरकार बनी, तो राहुल गांधी दलित और मुस्लिम समाज से एक-एक डिप्टी सीएम जरूर बनाएंगे।
महागठबंधन के इस फैसले पर AIMIM ने खुलकर हमला बोला है। ओवैसी की पार्टी का कहना है कि 2 फीसदी वाले नेता को डिप्टी सीएम बना दिया गया और 18 फीसदी वोट देने वाले मुसलमानों को सिर्फ दरी बिछाने के लिए छोड़ दिया गया। कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों का भी मानना है कि जब अति पिछड़ी जाति के सहनी के नाम की घोषणा हुई, तो उसी वक्त एक मुस्लिम उपमुख्यमंत्री की घोषणा भी होनी चाहिए थी। सियासी विश्लेषक इसे वोट बैंक बैलेंसिंग की चाल बता रहे हैं। यानी महागठबंधन ने फिलहाल ध्रुवीकरण रोकने के लिए मुस्लिम डिप्टी सीएम का पत्ता बाद के लिए रखा है।
पप्पू यादव ने अपने ट्वीट में लिखा “बिहार में INDIA गठबंधन की सरकार बनेगी तो हमारे नेता राहुल गांधी दलित और मुस्लिम समुदाय से एक-एक उपमुख्यमंत्री अवश्य बनाएंगे! वह सभी समाज को समुचित प्रतिनिधित्व देने के पक्षधर रहे हैं।”
उन्होंने साथ ही कांग्रेस के इतिहास की याद दिलाई कि राजीव गांधी तारिक अनवर को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, और इंदिरा गांधी ने भोला पासवान शास्त्री व अब्दुल गफूर को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था। यह ट्वीट सामने आने के बाद कांग्रेस खेमे में जहां राहत की सांस दिखी, वहीं महागठबंधन के अन्य दलों में बेचैनी बढ़ गई है।
AIMIM और जेडीयू नेताओं का कहना है कि सहनी को सिर्फ शोपीस की तरह आगे किया जा रहा है। वहीं, सहनी ने पलटवार करते हुए कहा, “भाजपा पहले अपने शाहनवाज हुसैन की चिंता करे। मुस्लिम उपमुख्यमंत्री बनाने का वक्त आ रहा है, और उन्हें इसी बात की जलन है।”
पप्पू यादव का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब बिहार में चुनावी बयार तेज़ है और महागठबंधन पर मुस्लिम वोटरों का दबाव बढ़ रहा है। सियासी विश्लेषक मानते हैं कि यह ट्वीट सिर्फ बयान नहीं, बल्कि राजनीतिक टेस्ट बलून है। राहुल गांधी के नाम से यह संकेत देना कि कांग्रेस अल्पसंख्यक और वंचित वर्गों को बराबर हिस्सेदारी देने के मूड में है।
मुकेश सहनी के नाम से शुरू हुआ विवाद अब कांग्रेस और AIMIM के बीच खुला टकराव बन चुका है। जहां कांग्रेस समान प्रतिनिधित्व की बात कर रही है, वहीं AIMIM वास्तविक प्रतिनिधित्व की मांग पर अड़ी है। अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी का यह दलित-मुस्लिम डबल कार्ड बिहार की सियासत में माहौल बदल पाता है या नहीं।
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