
पटनाः बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस पार्टी में सियासी हलचल तेज होती जा रही है। राहुल गांधी के फैसले से जहां पार्टी की टिकट नीति में बड़ा बदलाव आया है, वहीं इसके कारण कई जिला अध्यक्षों की टिकट की उम्मीदें ठंडी पड़ गई हैं। राहुल गांधी ने साफ किया है कि बिहार के जिला अध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि उनका मुख्य फोकस पार्टी संगठन को मजबूत करने पर रहेगा।
बीते कुछ महीनों में भोपाल में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान की शुरुआत के दौरान राहुल गांधी ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि संगठनात्मक पदाधिकारी चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। उनका मानना है कि यदि जिला अध्यक्ष चुनाव लड़ेंगे तो वे पार्टी के संगठन को समर्पित नहीं रह पाएंगे और सत्ता-संबंधी समीकरणों के चलते गुटबाज़ी बढ़ेगी। साथ ही कांग्रेस दिल्ली से भेजे गए ऑब्जर्वरों पर लगातार निगरानी रखेगी ताकि वे निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से काम करें।
बिहार में जहां स्थानीय स्तर पर टिकट वितरण अक्सर जातीय समीकरण और क्षेत्रीय लोकप्रियता के आधार पर होता है, ऐसे में जिला अध्यक्षों को टिकट नहीं दिए जाने से पार्टी में अंदरुनी असंतोष भी हो सकता है। कई जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं ने अपने क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता के बल पर टिकट की उम्मीदें लगा रखी थीं। यह फैसला यदि कड़ाई से लागू हुआ तो कई लोगों की उम्मीदें टूट जाएगी और कांग्रेस को बिहार विधानसभा चुनाव में स्थानीय पार्टी कार्यकर्त्ताओं का समर्थन खोने का खतरा भी है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह नई नीति कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में है। इसके तहत जिला अध्यक्षों को चुनावी भूमिका से हटाकर संगठन प्रबंधन, प्रचार समन्वय, पार्टी ब्रांड एंबेस्डर जैसी जिम्मेदारियां दी जाएंगी। इससे भले ही तत्कालिक स्तर पर टिकट से वंचित नेताओं में नाराज़गी हो, लेकिन पार्टी की चुनावी मशीनरी को बूथ लेवल तक मजबूत किया जा सकेगा।
कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने बिहार के 38 जिलों से करीब 1500 टिकट के दावेदारों के आवेदन स्वीकार किए हैं, जिनमें कई युवा और अनुभवी नेता शामिल हैं। पहले चरण की तैयारियों के तहत दशहरे के बाद कांग्रेस बड़े नेताओं को मैदान में उतारने की योजना भी बना रही है।
राहुल गांधी के इस फैसले का बिहार में प्रभाव चुनावों के नजदीक आकर साफ नजर आएगा, जब पार्टी टिकट वितरण की अंतिम सूची जारी करेगी। पार्टी के लिए चुनौती यह होगी कि संगठनात्मक मजबूती और चुनावी संतुलन कैसे बनाए रखना है, जो बिहार की जमीनी सियासत में कसौटी की तरह साबित होगा। यह रणनीति बिहार में महागठबंधन की मजबूती और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करने के लिए अहम कदम माना जा रहा है, जो आगामी विधानसभा चुनाव की दिशा को प्रभावित कर सकता है।
बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।