
समस्तीपुरः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने राज्य की चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। KSR कॉलेज के पास सड़क किनारे VVPAT (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन से निकली हुई भारी संख्या में पर्चियां खुले में फेंकी हुई मिलीं। स्थानीय लोगों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम रोशन कुशवाहा स्वयं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर पहुँचे और तुरंत पर्चियों का निरीक्षण किया।
मामले की जांच के बाद जिला प्रशासन ने इस पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया दी। जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी (DIPRO) रजनीश राय ने बताया कि खुले में मिली ये पर्चियां मॉक पोल (Mock Poll) के दौरान इस्तेमाल की गई थीं। मॉक पोल चुनाव से पहले मशीन की कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों की उपस्थिति में किया जाता है।
DIPRO के अनुसार, मॉक पोल के बाद इन पर्चियों को नियमानुसार नष्ट किया जाना चाहिए था। प्रशासन ने स्वीकार किया है कि इन संवेदनशील पर्चियों को खुले में फेंकना निर्वाचन प्रक्रिया की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। हालांकि प्रशासन ने इसे मॉक पोल से जुड़ा बताकर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया है, लेकिन इस चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही गई है।
विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस घटना को लेकर चुनाव आयोग और सत्ताधारी गठबंधन पर सीधा हमला बोला है। RJD ने आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया पर हमला करते हुए कहा, "समस्तीपुर के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र के KSR कॉलेज के पास सड़क पर भारी संख्या में EVM से निकलने वाली VVPAT पर्चियां फेंकी हुई मिली। कब, कैसे, क्यों किसके इशारे पर इन पर्चियों को फेंका गया? क्या चोर आयोग इसका जवाब देगा? क्या यह सब बाहर से आकर बिहार में डेरा डाले लोकतंत्र के डकैत के निर्देश पर हो रहा है।"
आरजेडी ने न केवल चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया है, बल्कि 'लोकतंत्र के डकैत' जैसे तीखे शब्दों का प्रयोग करते हुए इस घटना के तार बड़ी राजनीतिक साजिश से जोड़ने की कोशिश की है।
VVPAT पर्चियों का इस तरह खुले में पाया जाना, चाहे वे मॉक पोल की ही क्यों न हों, सुरक्षा मानकों और चुनावी प्रक्रिया की सीलिंग प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाता है। नियमानुसार, मॉक पोल की पर्चियों को भी एक विशेष लिफाफे में सील करके रिकॉर्ड के रूप में रखा जाता है या उचित तरीके से नष्ट किया जाता है ताकि कोई भी इनके साथ छेड़छाड़ न कर सके। खुले में पर्चियों के मिलने से यह प्रश्न उठता है कि चुनावी तैयारी में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई? यह घटना चुनाव की पारदर्शिता और मतदान की गोपनीयता को लेकर स्थानीय लोगों और विपक्षी दलों की आशंकाओं को बल देती है। अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई करता है, ताकि भविष्य में इस तरह की चूक न हो।
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