
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक बार फिर 2005 के उस ऐतिहासिक और निर्णायक राजनीतिक घटनाक्रम को याद किया है, जिसने उनके पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा (LJP) को तोड़ दिया था। चिराग का दावा है कि उनके पिता ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पार्टी तक कुर्बान कर दी, लेकिन RJD इसके लिए तैयार नहीं हुई। यह घटना 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव की है, जो रामविलास पासवान के राजनीतिक जीवन का सबसे महत्वाकांक्षी लेकिन सबसे त्रासद अध्याय साबित हुई।
फरवरी 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा, कांग्रेस के साथ मिलकर लालू प्रसाद यादव की RJD और नीतीश कुमार की NDA (JDU-BJP) के खिलाफ तीसरे मोर्चे के रूप में उतरी थी। पासवान की रणनीति दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाकर अपनी राजनीतिक ताकत स्थापित करने की थी।
सत्ता की चाबी हाथ में आने के बावजूद, रामविलास पासवान ने एक अप्रत्याशित शर्त रख दी। उनकी मांग थी कि बिहार में किसी मुस्लिम नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह न तो लालू यादव और न ही नीतीश कुमार को समर्थन देंगे, जिससे राज्य में संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया।
इस मांग के पीछे पासवान का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को एक मजबूत राजनीतिक संदेश देना था कि वह उनके हितों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। हालांकि, उनकी इस 'जिद' के कारण सरकार नहीं बन सकी और बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
जब पासवान अपनी 'मुस्लिम मुख्यमंत्री' की मांग पर अड़े रहे और किसी भी गठबंधन को समर्थन देने से इनकार कर दिया, तो नीतीश कुमार ने लोजपा की आंतरिक कमजोरियों का फायदा उठाया।
पासवान की पार्टी काफी हद तक परिवार और उनकी व्यक्तिगत अपील पर निर्भर थी, और इसकी संगठनात्मक संरचना कमजोर थी। नीतीश कुमार ने लोजपा के 29 विधायकों में असंतोष पैदा करने की रणनीति बनाई।
इस बगावत ने रामविलास पासवान की 29 विधायकों वाली लोजपा को दो फाड़ कर दिया और पार्टी को इतना कमजोर कर दिया कि राष्ट्रपति शासन के बाद जब अक्टूबर 2005 में दोबारा चुनाव हुए, तो लोजपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा और वह बिहार में सत्ता की दौड़ से बाहर हो गई।
चिराग पासवान आज 2005 की घटना को याद करके RJD पर निशाना साध रहे हैं। उनका तर्क है कि अगर उस समय RJD मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने को तैयार हो जाती, तो बिहार का इतिहास अलग होता।
चिराग ने महागठबंधन पर तंज कसते हुए कहा, "राजद 2005 में भी मुस्लिम मुख्यमंत्री के लिए तैयार नहीं था, आज 2025 में भी न मुस्लिम मुख्यमंत्री देने को तैयार है, न उपमुख्यमंत्री! अगर आप बंधुआ वोट बैंक बनकर रहेंगे, तो सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?"
हालांकि, चिराग के इस बयान पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उनकी अपनी पार्टी ने इस चुनाव में 29 सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। बावजूद इसके, 2005 के उस इतिहास को याद करके चिराग पासवान ने एक बार फिर मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर महागठबंधन की घेराबंदी करने की कोशिश की है।
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