बाढ़ में डूबे बिहार के बीच एयरपोर्ट का उद्घाटन? रोहिणी आचार्य ने पीएम मोदी से पूछे तीखे सवाल

Published : Sep 15, 2025, 10:58 AM IST
pm modi and rohini acharya

सार

बाढ़ से त्रस्त बिहार में एयरपोर्ट उद्घाटन को लेकर पीएम मोदी पर रोहिणी आचार्य ने तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों की मदद प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि दिखावटी कार्यक्रम। जानिए कैसे यह मुद्दा राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गया है।

पटनाः बिहार में बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सीमांचल और पूर्वोत्तर के कई जिले पानी में डूबे हैं, सड़कों पर जगह-जगह जलभराव है, खेतों में फसल बर्बाद हो चुकी है और लाखों लोग राहत शिविरों में अपनी ज़िंदगी गुजारने को मजबूर हैं। ऐसे में राज्य के नागरिकों को राहत, दवा, भोजन और आजीविका की सख्त जरूरत है। लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा और एयरपोर्ट उद्घाटन की तैयारियों ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

यह बाढ़ पीड़ितों की मदद का समय

राजद नेत्री और तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने पीएम मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह समय किसी एयरपोर्ट के उद्घाटन का नहीं है, बल्कि बाढ़ पीड़ितों की मदद का है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री जिस एयरपोर्ट का उद्घाटन करने आ रहे हैं, उसे उन्होंने खुद पहले ही चालू बता दिया था। रोहिणी ने तंज करते हुए कहा, “कोई बात नहीं, प्रधानमंत्री जी ऐसी बातें करने के लिए जाने जाते हैं और ऐसी बातें करने की आदत से मजबूर भी हैं।”

रोहिणी ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्य है कि बिहार जैसे गरीब राज्य में बाढ़ से बेहाल लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय कार्यक्रमों पर खर्च हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि क्या उन्हें मालूम है कि बिहार के लाखों लोग बाढ़ से बेघर होकर राहत शिविरों में रह रहे हैं, जिनके पास खाने और दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

हवाई जाहज से ज्यादा जरूरी नाव

रोहिणी ने कहा, “हवाई जहाज का उड़ना तभी सार्थक होगा जब आम जनता की जिंदगी परेशानियों से मुक्त होगी। अभी जरूरत हवाई जहाज उड़ाने की बजाय ज्यादा से ज्यादा नाव चलाए जाने की है।” उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोग विस्थापन की जिंदगी जी रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई ठप है, महिलाओं को सुरक्षित स्थान नहीं मिल रहा, किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और रोज़गार का संकट गहरा गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी राहत के इंतजाम नाकाफी हैं और प्रशासन की उदासीनता लोगों की पीड़ा को और बढ़ा रही है।

चीनी मिल का वादा दिलाया याद

रोहिणी आचार्य ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा, “आप बार-बार बिहार आते हैं, मगर अपने पूर्व के किए गए वादों को भूल हर बार कुछ नया वादा कर जाते हैं। मढ़ौरा चीनी मिल के लिए आपका किया गया वादा अभी अधूरा है। अगली बार जब आप आएँ तो मुझे आपके साथ मढ़ौरा चीनी मिल की चीनी से बनी चाय पीने का मौका दीजिए!”

बाढ़ पीड़ितों से मिलने की दी राय

रोहिणी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी को बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर वहां चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा करनी चाहिए। “अगर बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे लोगों के बीच जाकर राहत कार्यों की समीक्षा नहीं की गई तो यह दौरा सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा। बिहार की जनता को सिर्फ वादों और घोषणाओं की नहीं, बल्कि ठोस मदद की जरूरत है।”

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