‘सिंघम’ बना नेता, बिहार की इन 2 सीटों से चुनाव लड़ेंगे पूर्व IPS शिवदीप लांडे

Published : Oct 09, 2025, 10:38 AM IST
shivdeep lande

सार

'बिहार के सिंघम' कहे जाने वाले पूर्व IPS शिवदीप लांडे 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। वे अररिया और जमालपुर से निर्दलीय उम्मीदवार होंगे। उनका लक्ष्य सत्ता नहीं, बल्कि व्यवस्था में सुधार लाना है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सूबे की राजनीति में एक नया लेकिन बेहद चर्चित चेहरा उतर आया है. पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे। बिहार का सिंघम कहे जाने वाले इस सख़्त और ईमानदार अफसर ने सोमवार को यह घोषणा की कि वे अररिया और जमालपुर सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरेंगे। लांडे का यह कदम बिहार की राजनीति में हलचल मचा गया है। क्योंकि यह सिर्फ एक अफसर का चुनावी डेब्यू नहीं, बल्कि सिस्टम के खिलाफ सिस्टम से लड़ने की घोषणा मानी जा रही है।

सत्ता नहीं, सुधार चाहिए- लांडे का ऐलान

चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ लांडे ने कहा, “मैं राजनीति में सत्ता पाने नहीं, बल्कि सिस्टम को भीतर से बदलने आया हूं। बाहर बैठकर आलोचना आसान है, लेकिन सुधार तभी होगा जब हम अंदर जाएं और सफाई खुद करें।” उन्होंने साफ कहा कि वे किसी राजनीतिक दल के टिकट पर नहीं लड़ेंगे, बल्कि जनता के समर्थन के दम पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। लांडे ने अररिया और जमालपुर वह जगह है जहां उन्होंने बतौर पुलिस अधिकारी जनता के बीच गहरी पकड़ बनाई। इसी वजह से उन्होंने इन दो सीटों से चुनावी जंग लड़ने का फैसला किया है।

पुलिस सेवा से राजनीति तक

2006 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे शिवदीप वामनराव लांडे ने सितंबर 2024 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने मुंगेर, पटना, और अररिया जैसे जिलों में ताबड़तोड़ कार्रवाई कर अपराधियों की कमर तोड़ी थी। उनकी एक सख्त लेकिन संवेदनशील अफसर की छवि ने उन्हें जनता के बीच “जनता का पुलिसवाला” बना दिया था।

अररिया और पटना में उनके ट्रांसफर के वक्त लोगों ने सड़कों पर उतरकर कैंडल मार्च निकाला था। किसी पुलिस अफसर के लिए ऐसा दृश्य दुर्लभ था। सोशल मीडिया पर उनकी फॉलोइंग भी किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं, फेसबुक पर 8 लाख से ज्यादा, इंस्टाग्राम पर 2 लाख से अधिक फॉलोअर्स उनके पोस्ट्स पर नज़र रखते हैं।

“हिंद सेना” के बैनर तले नई राजनीति

सेवानिवृत्ति के कुछ महीनों बाद, अप्रैल 2025 में लांडे ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘हिंद सेना’ की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यह पार्टी किसी जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि मानवता, राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय पर आधारित होगी। हालांकि, मौजूदा चुनाव में वे “हिंद सेना” के बैनर के बजाय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरेंगे, ताकि जनता को एक “ईमानदार विकल्प” दे सकें।

जनता के बीच ‘सिंघम’ की पहचान

शिवदीप लांडे को लोग सिर्फ अफसर नहीं, एक उम्मीद के प्रतीक के रूप में देखते हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान महिला सुरक्षा, शिक्षा, और सामाजिक सुधार जैसे कई अभियानों को आगे बढ़ाया था। वे अक्सर गरीब छात्राओं की फीस भरते, जरूरतमंदों की मदद करते और अपराधियों से सख्ती से निपटते नजर आए। उनकी यही दोहरी छवि, सख्त अफसर और संवेदनशील इंसान, अब उनके राजनीतिक सफर की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है।

जनता से बड़ा कोई नहीं

लांडे ने कहा, “जब मैं पुलिस में था, तब कहता था। कानून से बड़ा कोई नहीं। अब जब राजनीति में आया हूं, तो मेरा नारा है। जनता से बड़ा कोई नहीं। शिवदीप लांडे की एंट्री बिहार की पारंपरिक जातीय और पैसों पर चलने वाली राजनीति को नई दिशा दे सकती है। वे न सिर्फ एक ईमानदार अफसर रहे हैं, बल्कि युवाओं के बीच रोल मॉडल के तौर पर स्थापित हैं। अब देखना यह है कि जनता उन्हें “सिंघम से नेता” बनने की इस यात्रा में कितना समर्थन देती है।

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