बिहार में 65 लाख वोटर कैसे हुए गायब? सुप्रीम कोर्ट ESI से सीधा सवाल, दिया ये अल्टीमेटम

Published : Aug 06, 2025, 03:32 PM ISTUpdated : Aug 06, 2025, 03:43 PM IST
Supreme Court  Of india

सार

Supreme Court ने ECI से पूछा- बिहार में क्यों हटे 65 लाख वोटर? SIR प्रक्रिया के तहत बड़ी कार्रवाई पर ADR की याचिका। 9 अगस्त तक आयोग को देनी होगी डिटेल रिपोर्ट, 12-13 अगस्त को होगी सुनवाई।

Supreme Court On SIR: बिहार में 65 लाख वोटरों का नाम अचानक वोटर लिस्ट से गायब हो जाना क्या सिर्फ एक 'तकनीकी सफाई' है या इसके पीछे छिपा है कोई बड़ा लोकतांत्रिक रहस्य? यह सवाल आज पूरे देश को झकझोर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए चुनाव आयोग से 9 अगस्त तक पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। मामला अब सिर्फ डेटा सुधार का नहीं, बल्कि चुनावी पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों के संरक्षण से जुड़ा है।

क्या है 65 लाख मतदाताओं के नाम हटने का रहस्य? 

बिहार में 24 जून से शुरू हुआ 'विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान (SIR)' अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है। 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 65 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए। चुनाव आयोग का कहना है कि ये नाम मृतक, स्थायी स्थानांतरित और डुप्लीकेट वोटरों के हैं। मगर सच में क्या ऐसा ही है?

यह भी पढ़ें…क्या डोनाल्ड ट्रंप ने सच में निवास प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई किया? बिहार में हैरान करने वाला मामला!

किन आधारों पर हटाए गए ये नाम?

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सवाल किया है कि हर एक नाम किस आधार पर हटाया गया-

  • क्या वो मतदाता मर चुके थे?
  • क्या वो किसी और राज्य में शिफ्ट हो चुके हैं?
  • या फिर उन्हें गलत तरीके से बाहर कर दिया गया?

जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हर नाम के पीछे की पूरी जानकारी जरूरी है। सिर्फ संख्या से काम नहीं चलेगा।

ADR की याचिका क्यों बनी इस विवाद की चाबी? 

  • एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि
  • "हर हटाए गए वोटर का नाम सार्वजनिक किया जाए, और उसके हटने की वजह साफ तौर पर बताई जाए।"
  • ADR की दलील है कि सिर्फ राजनीतिक दलों को लिस्ट देना काफी नहीं, बल्कि पब्लिक डोमेन में पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए।

चुनाव आयोग के आंकड़े क्या कहते हैं? 

EC ने कोर्ट को बताया कि:

  • 22.34 लाख नाम मौत की वजह से हटाए गए
  • 36.28 लाख लोग स्थायी रूप से दूसरी जगह चले गए
  • 7.01 लाख नाम डुप्लीकेट पाए गए

पर सवाल ये है- क्या ये जांच पारदर्शी थी? क्या मृतक मतदाताओं की वेरिफिकेशन स्थानीय स्तर पर हुई या सिर्फ डेटा बेस पर?

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम अल्टीमेटम-पारदर्शिता जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर इतनी बड़ी संख्या में नाम हटे हैं, तो पूरी जांच और जवाबदेही तय की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि “अगर नाम हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हुई, तो हम हस्तक्षेप करेंगे।” साथ ही कोर्ट ने आधार कार्ड और वोटर आईडी को नाम जोड़ने के लिए प्रमाणिक दस्तावेज मानने पर जोर दिया है, न कि नाम हटाने के लिए।

यह भी पढ़ें… Bihar Election 2025: तेज प्रताप ने किया इन 5 पार्टियों से नया गठबंधन, क्या बन पाएंगे किंगमेकर?

PREV

बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।

Read more Articles on

Recommended Stories

बिहार के सुपौल में सरेआम ‘जंगलराज’! प्रेमी जोड़े को पेड़ से बांधा-पंचायत ने वसूला 2 लाख
रील्स देख इश्क में डूबी 26 साल की महिला, पति-2 बच्चों को छोड़ सोशल मीडिया BF संग हो गई फुर्र