पटना में कांग्रेस के प्लान से पहले तेजस्वी यादव ने अचानक क्यों बुला ली महागठबंधन की बैठक?

Published : Sep 23, 2025, 05:33 PM IST
Tejashwi Yadav

सार

बिहार चुनाव 2025 के लिए तेजस्वी यादव ने कांग्रेस CWC बैठक से पहले महागठबंधन की बैठक की। इसमें सीट-बंटवारे, सीएम फेस व चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई। 

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है। चुनावी बिसात पर हर कदम सोच-समझकर रखा जा रहा है। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटना स्थित अपने आवास पर महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वामदल, VIP और अन्य सहयोगी) की बड़ी बैठक बुलाई। यह बैठक इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि ठीक अगले दिन पटना में कांग्रेस की वर्किंग कमेटी (CWC) की अहम बैठक होने वाली है। तेजस्वी की इस रणनीतिक चाल ने न सिर्फ बिहार बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के गलियारों में भी हलचल बढ़ा दी है।

बैठक में कौन-कौन रहे शामिल?

तेजस्वी यादव की इस बैठक में महागठबंधन के सभी बड़े घटक दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

  • RJD से राज्यसभा सांसद संजय यादव और वरिष्ठ नेता आलोक मेहता
  • कांग्रेस से कृष्णा अल्लावारु
  • CPI से कुणाल
  • VIP से नूरुल होदा

सभी नेताओं ने मिलकर सीट शेयरिंग, उम्मीदवारों की सूची और चुनावी रणनीति पर लंबी चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि अब महागठबंधन सीट बंटवारे को लेकर अंतिम दौर में पहुंच चुका है और दशहरा तक उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी संभव है।

कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता

महागठबंधन की इस बैठक के समानांतर कांग्रेस ने भी बिहार में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार भी कल की बैठक में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे और बेरोजगारी व पलायन को सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कांग्रेस की भूमिका पर जोर दिया। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने भी तेजस्वी यादव को गठबंधन का प्रमुख चेहरा करार दिया। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीट बंटवारे और उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल होने के बाद ही CM फेस घोषित होगा। इससे साफ है कि कांग्रेस, गठबंधन में अपनी सीटें बचाने और सियासी मौजूदगी बढ़ाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है।

तेजस्वी की रणनीति

तेजस्वी यादव ने CWC बैठक से ठीक पहले यह बैठक बुलाई है। जिससे यह समझा जा सकता है कि तेजस्वी गठबंधन में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को मज़बूत करना चाहते हैं। उन्होंने दिखा दिया कि बिहार में महागठबंधन की धुरी वही हैं। कांग्रेस और लेफ्ट दल उनके नेतृत्व को मानें या न मानें, लेकिन जनता के बीच वही चेहरा ज्यादा प्रभावशाली है।

CWC मीटिंग से पहले बैठक बुलाकर तेजस्वी ने यह संकेत दिया कि गठबंधन में सीटों का बंटवारा और नेतृत्व किसके इशारे पर होगा। यानी कांग्रेस को अपनी रणनीति तेजस्वी के इर्द-गिर्द ही गढ़नी पड़ेगी।

बीजेपी-जदयू बनाम महागठबंधन

बिहार का चुनावी समीकरण इस बार साफ तौर पर "अनुभव बनाम जोश" का मुकाबला बन गया है।

  • बीजेपी-जदयू (एनडीए): एनडीए का फोकस अपने पुराने और आज़माए हुए चेहरों पर है। आंकड़े बताते हैं कि 2010, 2015 और 2020 के चुनावों में बीजेपी ने औसतन 34 और जदयू ने 26 प्रत्याशियों को दोहराया। जातीय समीकरण और स्थायी वोट बैंक पर भरोसा करना उनकी रणनीति का हिस्सा है।
  • महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-वामदल): इसके उलट, RJD और कांग्रेस दोनों ही युवाओं और नए चेहरों को आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी यादव खुद युवा चेहरा हैं और वे लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि “बिहार का भविष्य नए हाथों में सुरक्षित है।” कांग्रेस भी संगठनात्मक कमजोरी के बावजूद युवाओं और एक्टिव स्थानीय नेताओं को टिकट देने की योजना बना रही है।

चिराग पासवान का फैक्टर

महागठबंधन की राजनीति को और जटिल बनाता है चिराग पासवान का फैक्टर। एलजेपी (रामविलास) अभी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन चिराग की राजनीतिक शैली और उनकी युवा छवि, महागठबंधन के लिए चुनौती और अवसर दोनों हैं। तेजस्वी और कांग्रेस को यह समझना होगा कि अगर युवा मतदाताओं को आकर्षित करना है, तो सिर्फ "नया चेहरा" काफी नहीं—संगठनात्मक पकड़ और जातीय गणित का प्रबंधन भी उतना ही ज़रूरी है।

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