
बिहार में चुनाव से पहले ससभी दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं। इसी वजह से राष्ट्रीय जनता दल के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव महागठबंधन की एक नई और व्यापक रणनीति के तहत 15 सितंबर से एक बार फिर बिहार यात्रा पर निकलने जा रहे हैं। यह यात्रा उन जिलों को कवर करेगी जो वोटर अधिकार यात्रा के दौरान छूट गए थे। इस बार की यात्रा में कई खास बातें होंगी जो इसे पहले से अलग और प्रभावी बनाएंगी।
वोटर अधिकार यात्रा की सफलता के बाद अब तेजस्वी यादव अब एक नये मिशन के तहत आगे बढ़ रहे हैं। पटना में यात्रा के समापन के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंच से तेजस्वी यादव के इस यात्रा के संकल्प का समर्थन किया था। खड़गे जी ने कहा था कि "तेजस्वी यादव हमसे कह रहे थे कि जो जिले छूटे हैं वहां हम यात्रा करेंगे। यह अच्छी बात है, सभी जिलों में हो जाना चाहिए।"
इस बार की यात्रा में तेजस्वी यादव का फोकस उन खास जिलों पर होगा जो पहली यात्रा में छूट गए थे। ये जिले चुनावी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और यहां स्विंग वोटिंग की संभावना है। इन जिलों में मतदान का पैटर्न आने वाले चुनाव का रुख तय कर सकता है। इस यात्रा में महागठबंधन एकजुट होकर काम करेगी। मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन के बाद यह साफ है कि कांग्रेस के स्थानीय नेता भी इस यात्रा में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
युवाओं के लिए रोजगार इस यात्रा का सबसे बड़ा एजेंडा होगा। तेजस्वी यादव सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता, प्राइवेट सेक्टर में अवसर और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के मुद्दे उठाएंगे। महिला आरक्षण बिल के समर्थन में तेजस्वी यादव महिला मतदाताओं से सीधा संपर्क करेंगे। महिलाओं की सुरक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और राजनीतिक भागीदारी के मुद्दे प्रमुख होंगे। फसल बीमा योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि लोन माफी के मुद्दों पर किसानों से सीधी बात होगी। जैविक खेती और कृषि आधुनिकीकरण भी चर्चा में आएंगे। सरकारी स्कूलों की हालत, उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार यात्रा के मुख्य मुद्दे होंगे।
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