
पटनाः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार अधिकार यात्रा के तहत बुधवार को मोकामा दौरे पर हैं। मोकामा वही विधानसभा क्षेत्र है जो बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अनंत सिंह का गढ़ माना जाता है, इस बार तेजस्वी के लिए सियासी समर का मैदान बनने वाला है। तेजस्वी इस दौरे में खासकर भूमिहार वोट बैंक पर फोकस करेंगे और युवाओं से मिलकर उन्हें सीधे संबोधित करेंगे। बीते दिन ही मोकामा में अनंत सिंह और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने अपनी ताकत दिखाई थी। एनडीए के कार्यकर्ता सम्मेलन में ललन सिंह ने अनंत सिंह के पक्ष में आवाज बुलंद करते हुए कहा कि मोकामा के दो ही रक्षक हैं। एक नीतीश कुमार और दूसरा अनंत सिंह। वहीं तेजस्वी इस दौरे में अपनी पूरी राजनीतिक ताकत झोंकने की तैयारी में हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अनंत सिंह फिलहाल आधिकारिक रूप से जदयू में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन वह जदयू के प्रमुख चेहरा बन चुके हैं और मोकामा से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी ओर, उनके और उनकी पत्नी नीलम देवी के राजद से बगावती रुख ने तेजस्वी के लिए चुनौती बढ़ा दी है। जनवरी 2024 में फ्लोर टेस्ट के दौरान नीलम देवी ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का समर्थन किया था, जिससे राजद का प्रभाव मोकामा में कमजोर हुआ।
तेजस्वी यादव की कोशिश अब यह है कि अनंत सिंह के गढ़ मोकामा में उनकी पार्टी की पैठ मजबूत की जाए। इसके लिए तेजस्वी ने पूर्व मंत्री और एमएलसी कार्तिक मास्टर को तैनात किया है। कार्तिक मास्टर की भूमिका दोहरी है। एक ओर वह भूमिहार समुदाय के बीच राजद की जड़ें मजबूत करेंगे, वहीं दूसरी ओर अनंत सिंह के पुराने सहयोगियों और कमजोर कड़ियों की जानकारी का इस्तेमाल चुनावी रणनीति में किया जा सकेगा।
मोकामा का चुनावी इतिहास भी इस दौरे की रणनीति को अहम बनाता है। यह सीट भूमिहार जाति का गढ़ मानी जाती है और अनंत सिंह भी इसी जाति से हैं। इस बार तेजस्वी का फैसला, उम्मीदवार चयन में बड़ा सरप्राइज देने वाला माना जा रहा है। महागठबंधन में मोकामा सीट पर रालोजपा के नेता सूरजभान सिंह का दावा है, लेकिन राजद अंतिम समय में किसी प्रभावशाली चेहरे को उम्मीदवार बना सकता है। इसमें सूरजभान के परिवार का सदस्य या अब तक भाजपा में रहे बाहुबली ललन सिंह को भी शामिल किया जा सकता है।
तेजस्वी यादव की रणनीति साफ है कि भूमिहार वोट बैंक को साधते हुए अनंत सिंह की छवि को चुनौती देना और मोकामा में राजद का प्रभाव दोबारा स्थापित करना। आगामी चुनावी महीनों में यह दौरा बिहार की राजनीति में बड़ी हलचल लाने वाला है।
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