वैशाली विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन की फ्रैंडली फाइट वाली सीट पर फिर लहराया JDU का परचम

Published : Oct 29, 2025, 02:24 PM ISTUpdated : Nov 14, 2025, 04:49 PM IST
Vaishali Assembly constituency

सार

वैशाली विधानसभा चुनाव 2025: वैशाली विधानसभा JDU का गढ़ है, जिसने लगातार 4 चुनाव जीते हैं। 2025 में, JDU के सिद्धार्थ पटेल ने RJD के अजय कुशवाहा को 32,000+ वोटों से हराया। यादव, कुशवाहा जैसे जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे चुनाव परिणाम तय करते हैं। 

Vaishali Assembly Election 2025: वैशाली विधानसभा (Vaishali Assembly Election 2025) बिहार की राजनीति में हमेशा से एक निर्णायक सीट रही है। वैशाली जिला न केवल इतिहास और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है बल्कि राजनीति की दृष्टि से भी बेहद अहम है। यहां पिछले तीन विधानसभा चुनावों- 2010, 2015 और 2020 में लगातार जनता दल यूनाइटेड (JDU) का कब्जा रहा है। यही वजह है कि ये सीट विधानसभा चुनाव 2025 में भी जदयू का अभेद्य गढ़ बनी रही। यहां से जनता दल यूनाईटेड कैंडिडेट सिद्धार्थ पटेल ने 108000 से ज्यादा वोट हासिल करते हुए आरजेडी के अजय कुमार कुशवाहा  को 32 हजार से ज्यादा वोटो से हराया। अजय कुमार कुशवाहा को करीब 76 हजार वोट मिले। महागठबंधन की फ्रैंडली फाइट वाली इस सीट पर तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह रहे, जिन्हें 20 हजार से ज्यादा वोट मिले।

वैशाली विधानसभा : 2010, 2015 और 2020 के चुनाव परिणाम

  •  2010 चुनाव: जदयू के वृषण पटेल ने 60,950 वोट हासिल कर राजद की वीणा शाही (48,122 वोट) को 12,828 मतों के अंतर से हराया।
  •  2015 चुनाव: जदयू के राज किशोर सिंह ने हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAMS) के वृषण पटेल को 31,061 वोटों के बड़े अंतर से हराया। इस बार राज किशोर सिंह को 79,286 वोट मिले और उन्होंने 48% वोट शेयर हासिल किया।
  •  2020 चुनाव: जदयू के सिद्धार्थ पटेल मैदान में उतरे और उन्होंने कांग्रेस के संजीव सिंह को हराया। सिद्धार्थ पटेल को 69,780 वोट मिले जबकि संजीव सिंह को 62,367 वोट। जीत का अंतर रहा मात्र 7,413 वोट।

वैशाली विधानसभा में जातीय समीकरण और वोटर प्रोफाइल

वैशाली विधानसभा क्षेत्र में यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, कोइरी, कुशवाहा, मुस्लिम और दलित मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें यादव और मुस्लिम वोट जहां राजद-कांग्रेस को मजबूती देते हैं, वहीं कुशवाहा, भूमिहार और ब्राह्मण वोटों पर जदयू और एनडीए का प्रभाव रहा है। यही जातीय समीकरण चुनावी परिणाम तय करते हैं।

वैशाली विधानसभा में शिक्षा, रोजगार और मुद्दे

वैशाली क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति कमजोर मानी जाती है। उच्च शिक्षा संस्थान कम होने की वजह से युवाओं को बाहर जाना पड़ता है। किसानों के बीच कर्ज, बाढ़ की समस्या और रोजगार प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और सड़क कनेक्टिविटी की स्थिति भी मतदाता के लिए बड़ा सवाल है।

वैशाली विधानसभा: सीट का इतिहास और बूथ मैनेजमेंट

वैशाली विधानसभा सीट हमेशा से सत्ताधारी दल के लिए अहम रही है। यहां जदयू ने मजबूत बूथ मैनेजमेंट के दम पर लगातार तीन चुनाव जीते। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और राजद की कमजोरी यहां स्पष्ट रही। हालांकि 2020 में संजीव सिंह ने मुकाबला कड़ा किया और अंतर घटाकर 7,000 वोट तक ला दिया।

 

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