पुस्तक समीक्षाः जानिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति का समाज पर कैसे पड़ रहा प्रभाव

इस पुस्तक की यह विशेषता है कि यह तथ्यों पर आधारित है और लेखक ने अपने मुख्य वादों और सिद्धांतों को ठोस अनुसंधान एवं विद्वत्ता पर आधारित रखा है। इसे लिखने के लिए विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र, विश्व आर्थिक फोरम, अमेरिकी रक्षा और गुप्तचर संस्थाओं, नीति आयोग इत्यादि संगठनों की बहुत सी रिपोर्टों का विश्लेषण किया है ।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2021 12:49 PM IST / Updated: Feb 25 2021, 06:20 PM IST

दिल्ली । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड द फ्यूचर ऑफ पावर- फाइव बैटलग्राउंड्स’ पुस्तक है, जो वर्तमान समय में हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति के समाज पर होने वाले प्रभावों का विस्तारपूर्वक विश्लेषण करती है। बता दें कि लेखक राजीव मल्होत्रा की इस पुस्तक का प्रारंभ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के कार्यक्षेत्र को समझाते हुए किया गया है। एआई केवल मशीन शिक्षण कलनविधियों (मशीन लर्निंग अल्गोरिथ्म्स) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बहुत सी ऐसी अग्रणी टेक्नोलॉजियां और अनुसंधान क्षेत्र हैं, जहाँ एआई सामर्थ्य प्रदान करती है और इन सबकी कार्यसाधकता को परिवर्धित करती है। इस लिए बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग, सैन्य अनुसंधान और बहुत से अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्र  एआई के विस्तृत क्षेत्र के अंतर्गत माने जा सकते हैं।

इस तरह लिखी गई यह पुस्तक
इस पुस्तक की यह विशेषता है कि यह तथ्यों पर आधारित है और लेखक ने अपने मुख्य वादों और सिद्धांतों को ठोस अनुसंधान एवं विद्वत्ता पर आधारित रखा है। इसे लिखने के लिए विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र, विश्व आर्थिक फोरम, अमेरिकी रक्षा और गुप्तचर संस्थाओं, नीति आयोग इत्यादि संगठनों की बहुत सी रिपोर्टों का विश्लेषण किया है ।

पुस्तक में चर्चित हैं पांच युद्धक्षेत्र 
अर्थव्यवस्था, विश्व प्रभुत्व, मानव कर्तृत्व एवं स्वतंत्र इच्छा, आत्मतत्त्वज्ञान और भारत। लेखक प्रत्येक युद्धक्षेत्र में एआई के प्रभावों का विस्तार से विश्लेषण करते हैं । वे अर्थशास्त्रियों, समाज-शास्त्रियों, व्यापारियों और नीति निर्धारकों को सतर्क करते हुए कहते हैं कि उन्होंने ए.आई. के प्रभावों को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने संवेदनशील मुद्दों एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्वहीन बनाने का कार्य किया है। 

अर्थशास्त्री पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मत का करते हैं अनुसरण
अर्थशास्त्री केवल पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मत का अनुसरण करते हुए, एआई. पर आधारित स्वचालनीकरण से उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी के भारी संकट पर पर्दा डालने का कार्य करते हैं। ऐसी अधिकतम रिपोर्ट भारतीय कॉर्पोरेट घरानों द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण पर आधारित हैं, जो प्राय: अपने निजी स्वार्थों से ही प्रेरित होकर कार्य करते हैं।

भारत के रिपोर्टों की होती है अनदेखी
अनौपचारिक क्षेत्र कहा जाने वाला भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण अंग इन रिपोर्टों में अनदेखा कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त इन अध्ययनों में किये गए सामाजिक और आर्थिक विश्लेषण पश्चिमी मॉडलों पर आधारित होते हैं जिनमे केवल भारतीय आँकड़े समायोजित कर दिए जाते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की धरातलीय वास्तविकता की पूर्णतः उपेक्षा कर दी जाती है ।

पहले सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करता था भारत 
लेखक इस बात पर दुःख व्यक्त करते हैं कि भारत देश, जो कि कुछ दशकों पहले तक सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करता था, आज उस ऊंचे स्थान पर कहीं भी दिखाई नहीं देता। विशेषतः जब हम ए.आई. के क्षेत्र में नवप्रवर्तनशील अनुसंधान और बौद्धिक संपदा के विकास की बात करते हैं, तो भारत, चीन और अमेरिका की तुलना में, बहुत ही पिछड़ा हुआ दिखाई देता है। राजीव मल्होत्रा इस दुर्दशा के लिए भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के मालिकों को दोषी मानते हैं।

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