मॉब लिंचिंग का शिकार मजदूर: ​पत्नी और तीन बच्चों का पेट पालने के लिए गया था गुजरात, चोरी के शक में पीट-पीटकर कर हत्या

पत्नी और तीन बच्चों का पेट पालने के लिए गुजरात गया एक मजदूर मॉब लिंचिंग का शिकार हो गया। गांव के लोगों ने उसे चोर समझकर इतना पीटा की उसकी मौत हो गई। मजदूर की मौत के बाद परिवार के भरण पोषण पर संकट खड़ा हो गया है।

Contributor Asianet | Published : Mar 23, 2023 2:09 PM IST / Updated: Mar 23 2023, 08:09 PM IST

अम्बिकापुर। पत्नी और तीन बच्चों का पेट पालने के लिए गुजरात गया एक मजदूर मॉब लिंचिंग का शिकार हो गया। गांव के लोगों ने उसे चोर समझकर इतना पीटा की उसकी मौत हो गई। मजदूर की मौत के बाद परिवार के भरण पोषण पर संकट खड़ा हो गया है। मजदूर की तबियत ठीक नहीं थी और वह गांव वापस आने के लिए ट्रेन में चढा था। पर गांव समझकर गुजरात में ही उतर गया और वहीं गांव वालों ने उसे चोर समझ लिया।

मजदूर, हरिगवां गांव के रहने वाले रामेश्वर खैरवार

गुजरात के खेड़ा जिले के वनसोल गांव में मजदूर के साथ यह घटना घटी। मजदूर की पहचान बलरामपुर जिले हरिगवां गांव के रहने वाले रामेश्वर खैरवार के रूप में हुई है। वह अपने ससुराल मढ़ना गांव में रह रहा था। मजदूरी करने गुजरात जाता था। बीते 16 मार्च को ही वह अपने गांव से गुजरात के खेड़ा मजदूरी करने गया हुआ था।

गांव समझकर पहले ही ट्रेन से उतरा

जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले ही उसकी अपनी पत्नी से बात हुई थी। तब उसने बताया था कि उसकी तबियत ठीक नहीं लग रही है और वह गांव वापस आना चाहता है। फिर रामेश्वर अपने कार्यस्थल से मजदूरी के पैसे लेकर गांव के लिए ट्रेन से निकला। ट्रेन ने अभी 70 किलोमीटर का ही सफर तय किया था कि रामेश्वर रास्ते में ट्रेन से उतर गया।

मजदूर का मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं था

रामेश्वर की पत्नी का कहना है कि उसकी मा​नसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं था। इसी वजह से वह गुजरात के किसी गांव को अपना गांव समझकर रास्ते में ही ट्रेन से उतर गए। गांव वालों ने चोरी के शक में उनके साथ मारपीट की। जिससे उनकी मौत हो गई। बहरहाल, इस दुखद घटना की सूचना कंपनी के मुंशी ने मृतक के परिवार को दी। परिवार गुजरात के लिए रवाना हो चुका है। पर सबसे बड़ा संकट रामेश्वर के बच्चों के सामने खड़ा है। पिता की मौत के बाद अब उनका लालन पालन कौन करेगा, यह सवाल सबके जेहन में कौंध रहा है। परिवार वाले न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उसके पहले जब रामेश्वर के साथ मॉब लिंचिंग की जानकारी पुलिस को मिली तो वह उसे लेकर अहमदाबाद के सिविल अस्पताल गई। पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

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