
बस्तर। बस्तर, छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इलाके में धर्मांतरण के बढ़ते हुए मामलों पर पहले से ही सियासी उबाल मचा हुआ था। अब राजपरिवार भी इसके विरोध में खुलकर सामने आया है और बस्तर में बढ़ते हुए धर्मांतरण के मामलों पर चिंता जताई है। राजकुमार कमल चंद भंजदेव ने इसे आदिवासी समाज के लिए घातक बताया है। उन्होंने यह अंदेशा भी जताया है कि यदि समय रहते धर्मांतरण को रोका नहीं जाता है तो आदिवासियों के बीच आपसी लड़ाई की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उधर पहले से ही भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर ठनी हुई है।
घर वापसी महाराज को सच्ची श्रद्धांजलि
कमलचंद ने स्वर्गीय महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव की पुण्यतिथि का हवाला देते हुए उस मौके पर लिए गए निर्णय का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तब फैसला लिया गया था कि धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को मूल धर्म में वापस लाना महाराज के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रवीर सेना इसके लिए गांव गांव अभियान चला रही है। उन्होंने कहा कि बस्तर में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से धर्मांतरण हो रहे हैं। सरकार को इस मामले को नजरअंदाज करना घातक साबित हो सकता है।
1950 में चर्च को लीज पर दी थी जमीन
साल 1950 में तत्कालीन महाराज प्रवीर चंद्र भंजदेव ने मिशनरी के लोगों को बस्तर में चर्च के लिए लीज पर जमीन दी थी। जब तक महाराजा रहे धर्मांतरण नहीं हुआ। पर कुछ वर्षों से मिशनरी के लोगों ने ग्रामीणों का धर्म परिवर्तन कराना शुरु किया। खासकर उन इलाकों को टारगेट किया गया। जहां एजूकेशन, हेल्थ व बुनियादी सुविधाओं की कमी थी।
आरक्षण की सुविधा खत्म करने की मांग
ऐसी जगहों पर उन लोगों ने स्कूल खोलें और धर्मपरिवर्तन शुरु किया। ग्रामीणों की कुछ बुनियादी सुविधाओं को भी उन लोगों ने पूरा किया। अब पूरे बस्तर संभाग में तेजी से धर्मांतरण हो रहा है। इसकी वजह से आदिवासियों की परम्परा खतरे में है। विधानसभा में बिल लाकर धर्म परिवर्तन करने वालों के आरक्षण की सुविधा खत्म कर देनी चाहिए। तब धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलने से वह अपने मूल धर्म में लौट सकते हैं।
केंद्र सरकार को भी लिखा पत्र
उन्होंने केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है। उसमें, धर्मांतरण को लेकर संसद में बिल लाने की गुजारिश की है। उनक प्रवीर सेना लगातार धर्मांतरण कर चुके लोगों की घर वापसी के प्रयास कर रही है। तमाम लोगों की घर वापसी भी कराई गई है।
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