नक्सलियों के गढ़ में अब गूंजेगी देशभक्ति! कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर बनेगा दूसरा जंगल वारफेयर कॉलेज

Published : Sep 14, 2025, 06:01 PM IST
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सार

Naxal Free Karregutta Hill: छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले की कर्रेगुट्टा पहाड़ी, जो कभी नक्सलियों का गढ़ थी, अब जंगल वारफेयर कॉलेज का नया केंद्र बनेगी। CRPF और अन्य बलों को यहां विशेष प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई और मज़बूत होगी।

कभी नक्सलियों की “राजधानी” कही जाने वाली कर्रेगुट्टा पहाड़ी अब देश के जवानों की बहादुरी की गवाही बनेगी। जिस जगह से कभी माओवादियों का खौफ फैलता था, वहीं अब बनेगा देश का दूसरा जंगल वारफेयर कॉलेज। यहां CRPF, छत्तीसगढ़ पुलिस, DRG और कोबरा जैसे बलों को आधुनिक प्रशिक्षण मिलेगा।

कर्रेगुट्टा: नक्सलियों से सेना की ऐतिहासिक जीत

यह वही पहाड़ी है जिसे 21 अप्रैल 2025 से शुरू हुए ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के तहत 21 दिनों की कार्रवाई के बाद सुरक्षा बलों ने नक्सलियों से मुक्त कराया था। इस ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे गए, 214 बंकर ध्वस्त किए गए और कई हथियार निर्माण इकाइयां नष्ट की गईं। इसे सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी जीतों में से एक माना जाता है।

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क्यों है कर्रेगुट्टा रणनीतिक रूप से खास?

लगभग 900 मीटर ऊंची कर्रेगुट्टा पहाड़ी में सैकड़ों गुफाएं हैं, जिन्हें नक्सली सालों से छिपने और हथियार बनाने के अड्डे के रूप में इस्तेमाल करते थे। यहीं से उनकी गतिविधियों को “कमान” मिलती थी, इसलिए इसे नक्सलियों की राजधानी तक कहा जाता था। अब यहीं से देश के जवान जंगल वारफेयर की बारीकियां सीखेंगे।

केंद्र और राज्य सरकार की साझा पहल

इस कॉलेज का निर्माण केंद्र सरकार करेगी, जबकि सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे की जिम्मेदारी राज्य सरकार उठाएगी। इससे पहले प्रदेश में 2004 में कांकेर में काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर कॉलेज खोला गया था। कर्रेगुट्टा का यह नया केंद्र नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करेगा।

अमित शाह और सीएम विष्णु देव साय का संदेश

हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कर्रेगुट्टा पहुंचकर ऑपरेशन में शामिल जवानों का सम्मान किया। वहीं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “नक्सलियों की झूठी विचारधारा अब दम तोड़ रही है। मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त भारत का संकल्प जरूर पूरा होगा।”

नक्सलवाद पर लगातार चोट

दिसंबर 2023 से अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों ने बड़ी कामयाबी पाई है।

  • 453 माओवादी मारे गए
  • 1616 गिरफ्तार
  • 1666 ने किया आत्मसमर्पण
  • 65 नए सुरक्षा कैंप खोले गए
  • सड़क, पुल और मोबाइल नेटवर्क जैसी सुविधाओं का विस्तार हुआ है।

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