पुलिस की अनूठी पाठशाला: नक्सलियों को 'टपकाने' के बाद जब कैम्प में लौटती है पुलिस, तो बच्चे खुश होकर झूम उठते हैं

पुलिस की पाठशाला क्रिमिनल्स को रुला देती है, लेकिन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती है। यही देखने को मिल रहा है छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में। यहां सिपाही सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

सुकमा. पुलिस की पाठशाला क्रिमिनल्स को रुला देती है, लेकिन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती है। यही देखने को मिल रहा है छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में। यहां नक्सलियों से लड़ने वाले जांबाज सिपाही सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। ये पुलिसकर्मी गरीब और पिछड़े आदिवासी बच्चों के लिए 'पुलिस की पाठशाला' चला रहे हैं। ये पाठशालाएं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्पेशली चलाई जा रही हैं।

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कहने को छत्तीसगढ़ कृषि, व्यवसाय, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों के मामले में विकसित राज्यों में पहचाना जाता है, लेकिन हकीकत में यहां के नक्सल प्रभावित आदिवासी अंचल इन सभी सुविधाओं से दूर हैं। नक्सली हिंसा और दहशत के चलते यहां उस गति से विकास नहीं हो पाया है, जितना बाकी जगहों पर हुआ।

खैर, छत्तीसगढ़ की पुलिस सिर्फ नक्सलियों के सफाए को ही अंजाम नहीं दे रही है, बल्कि आदिवासी अंचलों में सामाजिक कार्य भी कर रही है। इनमें से एक काम है बच्चों की एजुकेशन। 12 फरवरी को जिले के कोर नक्सल क्षेत्र डाब्बमरका में स्टेट हाईवे-5 के पास नया कैंप लगाया गया था। कैंप के टीआई भावेश शिंदे व अन्य टीआई शैलेंद्र नाग की प्रेरणा से यहां 'पुलिस की पाठशाला' स्थापित की गई।

सुकमा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुनील शर्मा ने कहा कि कैम्प में तैनात पुलिस अधिकारी और कर्मचारी इस स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। एसपी ने कहा, "यह पहल पुना नारकोम (स्थानीय गोंडी बोली में गढ़ा गया एक शब्द है, जिसका अर्थ है नई सुबह) अभियान के तहत की गई है। स्कूल को हमारे लिए उपलब्ध मिनिमम रिसोर्सेज की मदद से स्थापित किया गया है।”

एसपी ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान से लौटने के बाद कैम्प में तैनात पुलिसकर्मी खाली समय में इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं और उन्हें शिक्षा से जोड़ने का गंभीर प्रयास करते हैं। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, नक्सलवाद के कारण जिले के दूरदराज और अशांत इलाकों में स्कूलों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।

एसपी ने कहा कि जब तक इस स्थान पर परमानेंट इंफ्रास्ट्रक्चर वाला स्कूल नहीं आएगा, तब तक यहां का फोर्स बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस अस्थायी स्कूल के माध्यम से पढ़ाएगा। एसपी ने कहा, "हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षित किया जाए, ताकि इस क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त किया जा सके।"

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