Success Story: नक्सल प्रभावित सुकमा के ड्राइवर की बेटी को जब लंदन से आया शानदार जॉब का ऑफर

यह सक्सेस स्टोरी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा की है, जहां के एक ड्राइवर की बेटी को लंदन में शानदार नौकरी मिली है। दोरनापाल इलाके की रहने वालीं रिया फिलिप को लंदन में एक लाख 80 हजार मासिक वेतन पर नौकरी मिली है। 

सुकमा. यह सक्सेस स्टोरी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा की है, जहां के एक ड्राइवर की बेटी को लंदन में शानदार नौकरी मिली है। दोरनापाल इलाके की रहने वालीं रिया फिलिप को लंदन में एक लाख 80 हजार मासिक वेतन पर नौकरी मिली है। एक गरीब परिवार में जन्मीं रिया ने कड़ी मेहनत और परिवार वालों की मदद से यह मुकाम हासिल किया है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा की रिया फिलिप को मिला नंदन में अच्छा जॉब

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सुकमा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दुब्बाटोटा गांव नेशनल हाईवे-30 पर काफी अंदर स्थित है। यह इलाका नक्सलियों का खासा गढ़ माना जाता है। हालांकि अब स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। इसी गांव की रहने वाली संजू फिलिप की बड़ी बेटी रिया की प्राइमरी एजुकेशन दोरनापाल में हुई। उनका परिवार सलवा जुडूम के बाद दोरनापाल आ गया था।

सुकमा की रिया फिलिप की सक्सेस स्टोरी, पिता बस ड्राइवर हैं

रिया के पिता एक प्राइवेट स्कूल में बस ड्राइवर थे और उनकी मां उसी स्कूल में टीचर। परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं थी।रिया घर में सबसे बड़ी बेटी थी। लेकिन पढ़ाई के प्रति उसकी लगन देखकर परिवार ने उस पूरा सहयोग किया। रिया ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई दोरनापाल में की। इसके बाद 12वीं तक जगदलपुर में पढ़ी। रिया ने बेंगलुरु में तीन साल का नर्सिंग कोर्स किया।

नक्सल प्रभावित सुकमा की बेटी रिया फिलिप की सक्सेस स्टोरी

रिया ने दो साल तक दिल्ली में काम किया। इसी दौरान उसे लंदन में नौकरी का ऑफर मिला। रिया ने उसे स्वीकार किया और हफ्तेभर पहले लंदन चली गई। रिया के भाई आशीष फिलिप ने बताया कि उसने नौकरी ज्वाइन कर ली है। उसकी सफलता ने परिवार का गौरव बढ़ाया है।

आशीष के मुताबिक, उसकी दादी दुब्बाटोटा में नर्स थीं। वे सरकारी नर्स के रूप में कार्यरत थीं। रिहा जब छोटी थी, तो कहती थी कि वो दादी जैसी बनेगी। उन्हीं से प्रेरणा लेकर रिया नर्सिंग कर विदेश में सेवा दे रही हैं। रिया की दादी का 2013 में निधन हो गया था। रिया आगे पढ़ सके, इसलिए आशीष फिलिप ने उससे छोटा होने के बावजूद मेहनत-मजदूरी की। अपनी बहन को पढ़ाया।

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