बीजेपी के लिए चैलेंज है दिल्ली की ये सीट, चुनाव के इतिहास में एक बार ही जीत पाई

Published : Dec 26, 2024, 01:57 PM ISTUpdated : Dec 26, 2024, 02:28 PM IST
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सार

दिल्ली विधानसभा के चुनाव जल्दी होने जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी छाप लोगों के बीच छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। दिल्ली की एक सीट बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ाने का काम करती है। आइए जानते हैं उस सीट के बारे में यहां।

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के चुनाव जल्दी होने जा रहे हैं। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियां करने में जुटी हुई है। हर पार्टी ये चाहती कि दिल्ली के ज्यादा से ज्यादा सीटों पर वो अपना कब्जा जमा सकें। ऐसी ही एक सीट के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। बीजेपी के लिए दिल्ली की त्रिलोकपुरी सीट किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। सात पर दिल्ली विधानसभा के चुनाव में से केवल एक ही बार कमल इस सीट पर खिला है। 2008 में बीजेपी को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी। उस वक्त सुनील कुमार 634 वोटों के साथ जीते थे।

1993 में त्रिलोकपुरी की सीट अस्तित्व में आई थी। यहां पर शुरुआत से ही अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सीट आरक्षित हो रखी है। यहां पर ब्रह्मपाल पहले बतौर विधायक चुने गए थे, जोकि कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखे थे। उन्होंने अपने नाम जीत के हैट्रिक का खिताब बनाए रखा था। इसके अलावा 1998 और 2003 में हुए चुनाव भी वो जीते थे। लेकिन 2008 में वो बीजेपी नेता सुनील कुमार को जीत हासिल हुई थी। 634 मतों के अंतर के साथ बीजेपी ने अपना कमल यहां पर खिलाया था। 2014 में सुनील का निधन हो गया था। बाद में बीजेपी ने 2015 और 2020 के चुनाव के दौरान त्रिलोकपुरी सीट पर उनकी पत्नी किरण वैद्य को उतारा था।

2013, 2014 और 2020 के दौरान ऐसा रहा राजनीतिक सफर

बाद में फिर आम आदमी पार्टी ने 2013, 2015 और 2020 में यहां से जीत हासिल की थी। दो बार यहां के विधायक राजू धींगाना रहे थे। वहीं, इस वक्त वहां की विधायक रोहित मेहरौलिया बनी हुई है। 2020 में तत्कालीन विधायक राजू धींगाना को टिकट नहीं दिया गया था बल्कि पार्षद रोहित मेहरौलिया पर विश्वास जताया गया था। जोकि बिल्कुल ठीक रहा। 1993,1998, 2003 में कांग्रेस ने जीत हासिल की। वहीं, 2008 में बीजेपी और 2013,2015 और 2020 में आप पार्टी अपना सीट पर कब्जा जमाए रखा।

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