दिल्ली चुनाव: 'रेवड़ी' पर चली केजरीवाल की बाजी, विपक्ष हुआ फेल?

Published : Feb 04, 2025, 10:03 PM IST
arvind kejriwal

सार

दिल्ली चुनाव में 'रेवड़ी' सबसे बड़ा मुद्दा रहा। केजरीवाल ने 'रेवड़ी' को मजबूती से पेश किया और विपक्ष के हमलों का डटकर सामना किया। सांप्रदायिक मुद्दे भी नहीं उठ पाए।

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा ‘रेवड़ी’ ही रहा। कानून-व्यवस्था भी मुद्दा बना मगर ‘रेवड़ी’ उस पर भारी रही। ‘रेवड़ी’ से ‘रेवड़ी’ जुड़ती चली गयी। ऐसा भी नहीं हुआ कि ‘बीजेपी की रेवड़ी’ या ‘कांग्रेस की रेवड़ी’ जैसी बातें सुनाई पड़ी हों। ‘रेवड़ी’ का मतलब आम आदमी पार्टी की ही ‘रेवड़ी’ समझी और मानी गयी। सिर्फ केजरीवाल की रेवड़ी चली हो ऐसा भी नहीं है, केजरीवाल ने विरोधी दलों की ओर से जितने भी हमले हुए उसका तर्कपूर्ण और आक्रामक जवाब पेश किया। इससे ‘रेवड़ियां’ और मजबूती से जनता के बीच स्थापित होती चली गयी। इस चुनाव में सांप्रदायिक मुद्दे भी खड़े नहीं किए जा सके।

नहीं उठ सके सांप्रदायिक मुद्दे

बीजेपी के नेताओं ने कुछ रणनीति में बदलाव किया। हिन्दू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान जैसे जुमले उठाए नहीं गये जो अमूमन हुआ करता था। ऐसा आम आदमी पार्टी की वजह से हुआ। बीजेपी जानती है कि ध्रुवीकरण के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को मुस्लिम परस्त पार्टी बताना या समझाना मुश्किल है जबकि कांग्रेस के संदर्भ में यह बहुत आसान रहता आया है। अगर बीते विधानसभा चुनाव को भी याद करें तो ‘गद्दारों को गोली मारो...’, ‘वोट इंधर दोगे करंट शाहीन बाग में लगेगा’, ‘यहां आप जीतेगी पटाखे पाकिस्तान में फूटेंगे’ जैसे नारों ने बीजेपी को कोई फायदा नहीं पहुंचाया था।

‘आप-दा’ वाले हमले का केजरीवाल ने सामना किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी को ‘आप-दा’ नाम देने की कोशिश की। सभी बुरे कामों के लिए अरविन्द केजरीवाल की सरकार को जिम्मेदार ठहराने की यह रणनीति थी। इस हिसाब से दिल्ली को आयुष्मान के लाभों से दूर रखने, यमुना साफ नहीं करने, प्रदूषित पेयजल आपूर्ति करने, शराब घोटाला करने, नली-नाले की सफाई नहीं कराने, झूठ बोलने जैसे गंभीर आरोप लगाए और उनकी पैकेजिंग करने की कोशिश की।

आयुष्मान लागू नहीं करने वाला हमला भी फुस्स

पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और उनकी टीम ने केजरीवाल सरकार पर आयुष्मान को दिल्ली में लागू नहीं करने और दिल्ली की जनता को ‘शानदार’ स्वास्थ्य बीमा योजना से महरूम रखने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने इसकी सफाई पेश की। जनता को बताया कि आयुष्मान योजना भ्रष्टाचार की योजना है। सीएजी की रिपोर्ट ने इसकी तस्दीक कर दी है। इसके उलट यह बताया कि आयुष्मान योजना में 5 लाख तक का ही इलाज होता है और वह भी गरीब लोगों का। लेकिन, आम आदमी पार्टी दिल्ली के हर व्यक्ति को एक करोड़ तक का इलाज मुफ्त में कराता है। इतना ही नहीं आप ने संजीवनी योजना का खाका भी पेश कर दिया कि फिर से सरकार बनने पर सभी बुजुर्गों का बिना लिमिट के सरकारी-गैर सरकारी अस्पताल में मरीज की पसंद के अनुसार इलाज वे कराएंगे। इस तरह ‘आयुष्मान कार्ड’ वाला हमला भी विफल हो गया।

यमुना मैली होने के मुद्दे का केजरीवाल ने सामना किया

यमुना में प्रदूषण को बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने मुद्दा बनाना चाहा। मगर, आम आदमी पार्टी ने दो तरीके से इस हमले का सामना किया। हरियाणा से जहरीला पानी छोड़ने की थ्योरी और यमुना को साफ कर पाने में विफलता कबूलते हुए आगे के लिए वादा करना- ये दोनों तरीके कारगर रहे। यह मानते हुए भी कि यमुना को साफ करने में दिल्ली सरकार विफल रही है, जनता ने बीजेपी और कांग्रेस को लिफ्ट नहीं दी। विरोधी दलों ने अरविन्द केजरीवाल को यमुना में नहाने की चुनौती पेश की। जवाब में अरविन्द केजरीवाल ने हरियाणा से भेजा जा रहा ‘जहरीला पानी’ पीने की चुनौती दी। चुनाव आयोग तक को बोतल में ‘जहरीला पानी’ भेजा। इस तरह विरोधी दलों का ये चैलेंज भी न्यूट्रलाइज करने में ‘आप’ कामयाब रही।

‘शीशमहल’ भी नहीं चला

‘शीश महल बनाम राजमहल’ की लड़ाई में दोनों ने एक-दूसरे को न्यूट्रलाइज किया। इसके अलावा इन मुद्दों का जवाब आम आदमी पार्टी ने ‘रेवड़ी’ के जरिए दिया और शीश महल से ध्यान हटाने की कोशिश की जो सही रणनीति रही। बीजेपी ने अपनी ओर से अपने लिए नये मुद्दे खड़े करने की कोशिश भी की। ‘जहां झोपड़ी वहीं मकान’ का नारा दिया। आम आदमी पार्टी ने आंकड़ों के जरिए इसका प्रतिकार किया। जनता को बताया कि 11 साल में चार हजार झोपड़ियों को मकान में बदलने वाले दिल्ली की सभी झोपड़ियों को बदलते-बदलते 500 साल लगा देंगे। झोपड़ी गिराकर जमीन बेचने की साजिश करने की थ्योरी भी ‘आप’ ने रखी।

जहां झुग्गी वहां किसका मकान?

अरविन्द केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा, “जहां झुग्गी वहां किसका मकान? झुग्गी वालों के लिए? नहीं। जहां झुग्गी वहां इनके दोस्त का मकान, बिल्डर्स का मकान। हर कोई जानता है कि वे कौन हैं।” अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी से हलफनामे पर झुग्गी नहीं गिराने का भरोसा मांगा और कहा कि यह भरोसा दे दें तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया। एक भी झुग्गी नहीं गिराने का भरोसा दिलाया। मगर जुबानी भरोसे पर एतबार किसको है।

‘रेवड़ी’ ही चली

आम आदमी पार्टी ने न सिर्फ फ्री पानी, फ्री बिजली, महिलाओं के लिए बस मे फ्री सफर, फ्री इलाज, फ्री शिक्षा जैसी रेवड़ियों से होने वाले फायदे गिनाने शुरू किए। ‘केजरीवाल की गारंटी’ और ‘आप का बचत पत्र’ के जरिए यह बताया और समझाया कि हर महीने हर परिवार को कम से कम 25 हजार रुपये की बचत हो रही है। घर में सदस्यों की संख्या, महिलाओं की संख्या, स्कूल जाने वाले बच्चे-बच्चियों की संख्या के आधार पर यह बचत 50 हजार रुपये प्रति परिवार प्रति माह है। अगर आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं आयी तो यह बचत खत्म हो जाएगी। इसे शायद आप सह न पाएं। कई लोगों को तो अपने-अपने गांव वापस लौटना पड़ सकता है।

अरविन्द केजरीवाल ने 15 नई रेवड़ियां भी ‘केजरीवाल की गारंटी’ के तौर पर पेश की। इनमें रोजगार की गारंटी, यमुना की सफाई, 24 घंटे साफ पानी नल के जरिए सप्लाई, छात्रों के लिए बस में मुफ्त सफर और मेट्रो में आधे किराए पर सफर जैसी घोषणाएं प्रमुख हैं। दिल्ली के चुनाव में अरविन्द केजरीवाल ने जिस तरीके से रेवड़ी की पैकेजिंग की उसका जवाब लेकर न बीजेपी आ सकी और न ही कांग्रेस। वहीं, केजरीवाल ने विपक्ष की ओर से किए गये तमाम हमलों का समय-समय पर जोरदार तरीके से जवाब दिया।

 

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