समीर वानखेड़े पदोन्नति विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाया 20,000 रुपये का जुर्माना, क्यों?

Published : Oct 19, 2025, 11:04 AM IST
Sameer Wankhede promotion controversy

सार

दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े की पदोन्नति समीक्षा याचिका में तथ्य छिपाने पर केंद्र को 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। CAT आदेश, यूपीएससी सिफारिश और बॉलीवुड ड्रग केस से जुड़ा मामला हाईलाइट्स में।

Delhi High Court fine Centre 2025: दिल्ली उच्च न्यायालय ने IRS अधिकारी और NCB के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की पदोन्नति से जुड़े विवाद में केंद्र सरकार को 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने केंद्र पर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि याचिका दायर करने से पहले सभी तथ्यों का सच्चाई से खुलासा होना चाहिए।

केंद्र ने 28 अगस्त 2025 के आदेश की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें सरकार को वानखेड़े की पदोन्नति के लिए यूपीएससी की सिफारिश का पता लगाने और यदि सिफारिश हुई, तो उन्हें पदोन्नत करने का निर्देश दिया गया था।

समीर वानखेड़े की पदोन्नति क्यों बनी विवाद का केंद्र?

वानखेड़े, जो 2008 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी हैं, 2021 में NCB मुंबई में अपने कार्यकाल के दौरान शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग केस में फंसाने की धमकी देकर सुर्खियों में आए थे।

उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2024 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) का फैसला बरकरार रखा, जिसमें सरकार को वानखेड़े के मामले में सीलबंद लिफाफा खोलकर अगर यूपीएससी ने सिफारिश की हो तो उन्हें 1 जनवरी 2021 से अतिरिक्त आयुक्त के पद पर पदोन्नत करने का निर्देश दिया था।

केंद्र ने याचिका में तर्क दिया कि वानखेड़े के खिलाफ 18 अगस्त 2025 को आरोप ज्ञापन जारी किया गया था और विभागीय कार्यवाही शुरू हुई थी। इसलिए “सीलबंद लिफाफा” प्रक्रिया लागू थी।

क्या केंद्र ने महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए?

वानखेड़े के वकील ने कहा कि केंद्र ने कोर्ट को यह नहीं बताया कि CAT ने 27 अगस्त 2025 को वानखेड़े के खिलाफ विभागीय जांच आगे बढ़ाने से रोक दिया था। कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि केंद्र ने याचिका में महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और मधु जैन की पीठ ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र, एक राज्य के रूप में, रिट दायर करते समय सभी तथ्यों का सच्चाई से खुलासा करेगा।”

कोर्ट ने क्या निर्णय सुनाया?

  • पुनर्विचार याचिका खारिज।
  • केंद्र पर 20,000 रुपये का जुर्माना।
  • जुर्माना दिल्ली उच्च न्यायालय अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा किया जाएगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीपीसी की बैठक और CAT का आदेश तब तक पूरी तरह लागू नहीं हुआ था, जब तक कि केंद्र ने 28 अगस्त तक महत्वपूर्ण जानकारी साझा नहीं की।

वानखेड़े विवाद से क्या सीख मिलती है?

यह मामला दर्शाता है कि सरकारी अधिकारियों की पदोन्नति और जांच में पारदर्शिता कितनी अहम है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि तथ्यों को छिपाना या अधूरी जानकारी देना गंभीर मुद्दा है।

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