नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के लीडर रामनिवास गोयल ने राजनीति से संन्यास ले लिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ये आप पार्टी के लिए ये चीज किसी सदमे से कम नहीं है। राम निवास गोयल का नाता संघ परिवार से काफी गहरा रह चुका है। 1993 में उन्होंने बीजेपी की टिकट से शाहदरा सीट पर दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीता था।
बीजेपी के अंदर जिस तरह की पॉलिटिक्स चल रही थी उसने रामनिवास गोयल की राजनीतिक सफर पर गहरा असर डाला था। बार-बार उनके नाम पर चर्चा होती और टिकट किसी और को दे दी जाती। 2013 में जब बीजेपी की तरफ से जितेंद्र सिंह शंटी जीते तो उस वक्त राम निवास गोयल को लगा कि संघ से गहरा ताल्लुक होने के बाद भी बीजेपी पार्टी में उनका कोई अस्तित्व नहीं रहा है। उस दौरान आम आदमी पार्टी का जन्म दिल्ली की राजनीति में होता हुआ दिखाई दे रहा था। ऐसे में राम निवास गोयल ने अरविंद केजरीवाल के साथ आगे की राजनीति का सफर शुरू करने का फैसला लिया। 2015 में वो आप पार्टी की तरफ से चुने लड़े और शाहदरा से विधायक बनाए गए। राम निवास गोयल को राजनीति की काफी अच्छी पकड़ थी इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने उन्हें स्पीकर की कुर्सी दे दी।
साल 2015 से लेकर 2020 तक राम निवास गोयल ने लोगों के दिलों और आप पार्टी के भीतर अपनी अच्छी पकड़ बना ली थी। 2020 में दोबारा चुनाव जीतने के बाद उन्हें अरविंद केजरीवाल की तरफ से फिर विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी की जिम्मेदारी दे दी गई। एंबुलेंस मैन के तौर पर लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने वाले जितेंद्र सिंह शंटी ने अब आप पार्टी का हाथ पकड़ लिया है। ऐसे में रामनिवास गोयल के नाम का पता कटना तय माने जा रहा है। इसी के चलते रामनिवास गोयल ने अपनी राजनीतिक पारी को खत्म करने की घोषणा कर दी।
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