पीएम मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, बिलख रहे हेमंत को बंधाया ढांढस-भावुक कर देगी तस्वीर

Published : Aug 04, 2025, 03:52 PM ISTUpdated : Aug 04, 2025, 03:53 PM IST
 PM Modi Shibu Soren Last Visit

सार

Shibu Soren Funeral: झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में निधन। गंगाराम अस्पताल में पीएम मोदी ने अंतिम दर्शन किए, हेमंत सोरेन को दी सांत्वना। मंगलवार को रांची में अंतिम संस्कार, राहुल गांधी और खड़गे भी होंगे शामिल।

PM Modi Shibu Soren Funeral: झारखंड की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले झामुमो के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस लेने वाले गुरुजी को अंतिम बार देखने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे, जिन्हें देखकर शिबू सोरने के बेटे एवं सीएम सीएम हेमंत सोरेन पूरी तरह भावुक हो गए। पीएम मोदी ने हेमंत सोरेन को गले लगाकर ढांढस बंधायाद्ध अब मंगलवार को रांची में  उनका अंतिम संस्कार होगा।

रहस्य और राजनीति का संगम: कौन थे 'गुरुजी' शिबू सोरेन? 

Shibu Soren न सिर्फ झारखंड आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे, बल्कि आदिवासी अधिकारों की आवाज भी थे। उनका जीवन कई रहस्यों, संघर्षों और राजनीतिक टकरावों से भरा रहा। वे कई बार जेल भी गए, उन पर हत्या से लेकर भ्रष्टाचार तक के आरोप लगे, लेकिन हर बार वे ‘गुरुजी’ के नाम से एक जननेता बनकर उभरे।

 

 

अंतिम दर्शन में शामिल हुए प्रधानमंत्री मोदी 

सोमवार रात जैसे ही गुरुजी के निधन की खबर सामने आई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तुरंत दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंचे। उन्होंने शोकाकुल हेमंत सोरेन को गले लगाया और ढांढस बंधाया। उनके इस कदम ने दिखा दिया कि राजनीतिक मतभेदों से परे भी एक सम्मान होता है-एक महान नेता के लिए।

मंगलवार को रांची में अंतिम यात्रा, राहुल गांधी भी होंगे शामिल 

गुरुजी का पार्थिव शरीर आज विशेष विमान से रांची लाया जाएगा। मंगलवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार समेत कई दिग्गज नेता अंतिम विदाई में शामिल होंगे।

 

 

झारखंड में 3 दिन का राजकीय शोक, राजनीतिक तापमान हाई 

झारखंड सरकार ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान कोई भी सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। इधर, हेमंत सोरेन के सामने अब भावनात्मक और राजनीतिक दोहरी चुनौती है-पिता के जाने का ग़म और पार्टी की बागडोर को संभालने का दबाव। Shibu Soren का जाना झारखंड ही नहीं, पूरे भारत की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ेगा जनसैलाब, और पीछे रह जाएगी एक विरासत-संघर्ष की, अधिकार की, और सम्मान की।

 

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