हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के पीछे धर्मेंद्र प्रधान की रणनीति का बड़ा हाथ रहा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से फीडबैक, ग्राउंड लेवल पर काम और बागियों को साधकर पार्टी को जीत दिलाई।
Haryana Assembly Elections 2024 Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए अब तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा की इस जीत के सूत्रधार बने केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान। उन्होंने पर्दे के पीछे बीजेपी की जीत के लिए ऐसी रणनीति बनाई कि कांग्रेस चारों खाने चित हो गई। बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह के बेहद करीबी लोगों में शामिल है। यही वजह है कि उन्होंने पूरा भरोसा दिखाते हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान को सौंपी।
ओडिशा के बाद हरियाणा में खिलाया कमल
ओडिशा से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने अपने राज्य में बीजेपी को कामयाबी दिलाने के बाद हरियाणा में भी कमल खिलाने में अहम रोल निभाया। कभी पेट्रोलियम मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले धर्मेंद्र प्रधान पिछले कुछ सालों में कठिन राज्यों और चुनावी लड़ाइयों के लिए भाजपा के पसंदीदा शख्स बनकर उभरे हैं।
धर्मेंद्र प्रधान को ही क्यों दी हरियाणा की जिम्मेदारी?
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें 2017 में उत्तराखंड और 2022 में उत्तर प्रदेश में भी चुनाव का जिम्मा सौंपा गया था, जहां उन्होंने पार्टी को जीत दिलाई। उनका हालिया प्रोजेक्ट अपना होमटाउन ओडिशा था, जहां उन्होंने 2024 में भाजपा को विजयी बनाया।
हरियाणा में BJP के सामने क्या थी बड़ी चुनौतियां?
हरियाणा में बीजेपी के सामने एक-दो नहीं, बल्कि कई बड़ी चुनौतियां थीं। पिछले 10 साल से बीजेपी यहां सत्ता में थी, जिसके चलते हरियाणा में एंटी-इनकम्बेंसी फैक्टर के साथ ही कई वर्ग असंतुष्ट नजर आ रहे थे। इनमें जाट, किसान, अग्निवीर योजना से नाखुश सेना के उम्मीदवार और खुद पार्टी कार्यकर्ता भी थे। भाजपा के भीतर के विद्रोही जहां टिकटों के बंटवारे से नाखुश थे, वहीं कांग्रेस के जोरदार प्रचार अभियान ने बीजेपी की मुसीबत और बढ़ा दी थी। ऐसे में धर्मेंद्र प्रधान कैसे कांग्रेस के जबड़े से जीत छीन लाए, जानते हैं।
1- रियलटाइम फीडबैक
धर्मेंद्र प्रधान ने हरियाणा में एक महीने से भी ज्यादा समय तक अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने रोहतक, कुरूक्षेत्र और पंचकुला में शिविर लगाए। अपने कार्यकर्ताओं से रियलटाइम फीडबैक लिया, जिससे उन्हें विरोधी दलों की स्पष्ट रणनीति को समझने में मदद मिली।
2- ग्रांउड जीरो पर काम
धर्मेंद्र प्रधान ने रोहतक, पंचकुला और राज्य के दूसरे कई क्षेत्रों में शिविर लगाकर ग्राउंड जीरो पर कार्यकर्ताओं और जनता से मिले। इस दौरान वो भीतर ही भीतर पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाते रहे। उन्होंने मैदानी कार्यकर्ताओं के साथ छोटी-छोटी मीटिंग्स कीं और उनसे कमियों के बारे में जाना।
3- पार्टी कार्यकर्ताओं और केंद्रीय नेतृत्व के सूत्रधार
धर्मेंद्र प्रधान ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बातें सुनीं और उनकी ओर से केंद्रीय नेतृत्व के साथ संपर्क किया। इसके साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरा और चुनाव के लिए सही उम्मीदवार के चयन में मदद की।
4- नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया
प्रधान ने हरियाणा में नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया। इतना ही नहीं, उन्होंने उम्मीदवारों की लिस्ट बनने के बाद पैदा हुए तनाव को भी कम किया। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, नामांकन वापसी के समय तक पार्टी को लगभग 25 विद्रोहियों में से सिर्फ 3 से ही निपटना पड़ा। इसके अलावा उन्होंने कमजोर बूथों की पहचान कर अपनों का मनोबल बढ़ाया।
5- बागियों को साधने में लगाया जोर
भाजपा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद एक वक्त ऐसा भी आया, जब लगा कि भाजपा के बागी उम्मीदवार सारा खेल बिगाड़ देंगे। 2 दर्जन से अधिक बागी नेता चुनाव लड़ने पर उतारू थे, लेकिन प्रधान ने उनसे तालमेल बैठाते हुए मामला सुलझा लिया। नामांकन पत्र वापस लेने की तारीख आने तक सिर्फ तीन बागी ही बचे थे।
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