
Gurmeet Ram Rahim Parole: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, जो अपनी दो शिष्याओं के साथ बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा काट रहे हैं, एक बार फिर 21 दिन की फरलो पर सुनारिया जेल, रोहतक से रिहा हो गए हैं। यह 2020 से अब तक उनकी 13वीं अस्थायी रिहाई है, जो एक बड़े विवाद का कारण बन गई है।
राम रहीम को मिली अब तक की लगभग हर पैरोल या फरलो राजनीतिक चुनावों से ठीक पहले मिली है, जिससे इन छुट्टियों पर राजनीतिक लाभ उठाने का संदेह गहराता जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, गुरमीत राम रहीम सीधे सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय जा रहे हैं, जहां वे सजा के बाद दूसरी बार समय बिताएंगे। इससे पहले वे बागपत और सिरसा के डेरों में पैरोल के दौरान ठहरे थे। जेल अधिकारी ने बताया कि "इस बार वह पूरी छुट्टी सिरसा डेरे में ही बिताएंगे।"
बलात्कार के दोषी और एक मामले में हत्या के आरोपी राम रहीम को बार-बार दी जाने वाली छुट्टियों ने कई बार न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। क्या यह राजनीतिक दबाव का नतीजा है या विशेष नियमों की आड़ में खेला जा रहा कोई खेल?
विशेषज्ञों का मानना है कि डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव खासकर हरियाणा और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में काफी गहरा है, और इसी कारण राम रहीम की गतिविधियों को चुनावी रणनीति से जोड़ा जा रहा है। रेप जैसे गंभीर अपराध में सजा काट रहा व्यक्ति बार-बार जेल से रिहा हो, वो भी चुनाव से ठीक पहले – यह सवाल तो उठेंगे ही। क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी नहीं? या फिर कोई अदृश्य शक्ति डेरा प्रमुख की रिहाई के पीछे काम कर रही है?
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