हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2024) में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के पीछे कई कारण रहे। ओबीसी कार्ड, प्रभावी चुनाव प्रचार और सरकार के काम ने भाजपा को जीत दिलाई।
नई दिल्ली। हरियाणा में 90 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) में भाजपा लगातार तीसरी बार बड़ी जीत हासिल करने जा रही है। पार्टी को 2 सीट पर जीत मिली है और 48 पर बढ़त है। बहुमत के लिए 46 सीट चाहिए। यह भाजपा की ऐतिहासिक जीत होगी। 1966 में स्थापना के बाद से हरियाणा में कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार जीत हासिल नहीं कर पाई है।
हरियाणा चुनाव में भाजपा की जीत के 10 बड़े कारण
ओबीसी कार्ड: चुनाव से पहले भाजपा ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। इससे पार्टी को OBC समाज का साथ मिला है।
प्रभावी चुनाव प्रचार अभियान: भाजपा ने राज्य में चुनाव प्रचार के लिए अच्छी रणनीति बनाई। प्रचार अभियान बहुत व्यवस्थित तरीके से चलाया गया। राज्य के विकास और स्थिरता पर पार्टी के नेताओं ने बात की। यह मतदाताओं के दिलों में उतर गया।
सरकार के काम: हरियाणा में भाजपा 2014 से सत्ता में है। इस दौरान केंद्र में भी भाजपा सरकार है। राज्य की भाजपा सरकार ने जो काम किए हैं उसे जनता ने पसंद किया है। यही वजह है कि लोगों ने पार्टी को फिर से सरकार बनाने का मौका दिया है।
ओबीसी से शहरी मतदाताओं तक, भाजपा की पकड़ हुई मजबूत: भाजपा ने ओबीसी और शहरी मतदाताओं सहित विभिन्न समुदायों के बीच अपना समर्थन बढ़ाया है। इसका लाभ चुनाव में मिला है।
कमजोर विपक्ष: भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे विपक्ष में एकजुटता नहीं थी। कांग्रेस आप के साथ गठबंधन नहीं कर पाई। इसके चलते सत्ता विरोधी वोट बंट गए। सीधा लाभ भाजपा को मिला।
जाट क्षेत्र का प्रदर्शन: जाट मतदाताओं में कुछ असंतोष के बावजूद भाजपा को अधिक नुकसान नहीं हुआ। पार्टी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सीटें हासिल करने में सफल रही।
विकास पर ध्यान: भाजपा ने हरियाणा के आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है। इसने मतदाताओं को आकर्षित किया है।
नकारात्मक भावना के खिलाफ काम: भाजपा ने अपनी सरकार के खिलाफ कुछ वर्गों में उठी नकारात्मक भावना को कम करने के लिए काम किया। इससे लोगों का सरकार के खिलाफ गुस्सा कम हुआ।
आप की विफलता: आप (आम आदमी पार्टी) हरियाणा में असर नहीं डाल सकी। इससे भाजपा को कड़ी टक्कर नहीं मिली।
कांग्रेस का अति आत्मविश्वास: कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अति आत्मविश्वास हो गया था कि चुनाव जीतने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर नेताओं के बीच होड़ लग गई थी। वोटर को यह पसंद नहीं आया।
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