माणिक साहा आज यानि बुधवार को पीएम नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में दूसरी बार त्रिपुरा के सीएम पद की शपथ लेंगे। हालिया विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत हुई थी और माणिक ने सोमवार को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
अगरतला (त्रिपुरा)। त्रिपुरा में माणिक साहा ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अगरतला के स्वामी विवेकानंद ग्राउंड में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद हैं।
सोमवार (6 मार्च) को माणिक साहा को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया था। सीएम साहा के शपथ ग्रहण करने के बाद सांतना चकमा, प्रणजीत सिंह, सुशांता चौधरी, रतन लाल नाथ, टिंकू रॉय, विकाश देबबर्मा, सुधांशु दास व सुक्ला चरण नोआतिया ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
माणिक ने सोमवार को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। शपथ ग्रहण समारोह अगरतला के विवेकानंद मैदान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
अमित शाह और नड्डा अगरतला में
गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को ही अगरतला पहुंचे थे। माणिक साहा ने महाराज बीर बिक्रम हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। उसके पहले सोमवार को बीजेपी के चुने गए विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से विधायक दल के नेता के रूप में माणिक साहा के नाम प्रस्तावित किया गया था। साहा ने इस पर खुशी जताते हुए ट्वीट कर सबका आभाार जताया था। माणिक साहा ने बीते शुक्रवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
स्वामी विवेकानंद मैदान मेंं शपथ ग्रहण समारोह
पिछली बार जब माणिक साहा ने सीएम पद की शपथ ली थी। तब शपथ ग्रहण समारोह असम राइफल्स मैदान में हुआ था। इस बार शपथ ग्रहण समारोह स्वामी विवेकानंद मैदान में आयोजित किया जा रहा है। शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे। इसके अलावा बीजेपी शासित राज्यों के सीएम भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।
किस दल को मिली कितनी सीट
आपको बता दें कि भाजपा ने 32 सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी की है। आंकड़ों के अनुसार, भाजपा को लगभग 39 प्रतिशत वोट शेयर मिले। दूसरे नम्बर पर टिपरा मोथा पार्टी रही। उसे 13 सीटें हासिल हुई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) 11 सीटें जीती। कांग्रेस को तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा। इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने भी अपना खाता खोला। उसे एक सीट हासिल हुई।