दो महीने की प्रेग्नेंट डॉगी 'जिप्सी' को फीवर था, उसका खाना-पीना छूट गया था, गिम्मी डॉग ने ब्लड डोनेट करके बचा ली जान

देश में ऐसे बहुत ब्लड डोनर हैं, जो एक कॉल पर ब्लड देने पहुंच जाते हैं, लेकिन यह मामला इन सबके अलग और विचित्र है, क्योंकि इसमें ब्लड डोनर कोई इंसान नहीं, बल्कि एक डॉग है, जिसने प्रेग्नेंट डॉग को ब्लड देकर जान बचाई।

Amitabh Budholiya | Published : Mar 14, 2023 5:13 AM IST / Updated: Mar 14 2023, 10:44 AM IST

हावेरी. आपने सुना होगा-रक्तदान-महादान‌! दरअसल, तमाम गंभीर बीमारियों या अन्य ट्रीटमेंट के दौरान ब्लड की जरूरत पड़ती है। देश में ऐसे बहुत ब्लड डोनर हैं, जो एक कॉल पर ब्लड देने पहुंच जाते हैं, लेकिन यह मामला इन सबके अलग और विचित्र है, क्योंकि इसमें ब्लड डोनर कोई इंसान नहीं, बल्कि एक डॉग है, जिसने प्रेग्नेंट डॉग को ब्लड देकर जान बचाई।

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अकसर कहा जाता है कि आड़े वक्त में ही दोस्तों और मददगार इंसानों की पहचान होती है। डॉग कितने वफादार होते हैं, यह तो सबको पता है, लेकिन यहां एक डॉग ने फीमेल डॉग को ब्लड देकर उसकी जान बचा ली।

यह मामला कर्नाटक के हावेरी जिले के अक्की अलूर का है। यहां एक मेल लैब्राडोर एक प्रेग्नेंट डॉग की जान बचाने के लिए ब्लड डोनर बन गया। जिप्सी नाम की गर्भवती लैब्राडोर के मालिक नोखिल हडालागी ने बताया कि वो दो महीने की गर्भवती थी। वो खाना नहीं खा रही थी। जब उन्होंने एक वेटेरिनरी डॉक्टर से परामर्श किया, तो उन्होंने कहा कि डॉग लो हीमोग्लोबिन से पीड़ित है। उसे तुरंत ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता है।

नोखिल ने बताया कि इसके बाद उन्होंने गिम्मी नाम के मेल लैब्राडोर के मालिक वैभव पाटिल से संपर्क किया। वे अपने गिम्मी का ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार हो गए। जिप्सी टिक बुखार(tick fever) से पीड़ित थी और कई दिनों से खाना न खाने के कारण कमजोर हो गई थी। उसकी जान जोखिम में थी और उसे बचाने के लिए खून चढ़ाना जरूरी था। अब खून चढ़ाने के बाद जिप्सी की तबीयत ठीक है।

ब्लड की आवश्यकता वाले लोगों की सहायता के लिए अक्की अलूर में फ्रेंडली ब्लड डोनर्स का एक ग्रुप बनाया गया है। जिप्सी के मालिक और जिम्मी इस ग्रुप के सदस्य हैं। वे बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि उनके ग्रुप ने इंसान ही नहीं, बल्कि कुत्ते के खून की भी कमी को दूर किया है, यह बात काबिले तारीफ है। इस दुर्लभ रक्तदान में पशु चिकित्सालय के डॉक्टर डॉ अमित पुराणिकर, डॉक्टर संतोष और रक्त परीक्षक दादापीर कलादगी ने अपनी सेवाएं दीं।

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