दिल्ली पुलिस को 11 साल से चकमा दे रहा था कॉन्ट्रैक्ट किलर...यहां बनाया था ठिकाना

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 11 साल से फरार कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर राजू बनारसी को छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा के जंगलों से गिरफ्तार किया, जो 2013 से हत्या के मामले में वांछित था। जानें चौंकाने वाली स्टोरी।

Surya Prakash Tripathi | Published : Oct 12, 2024 11:45 AM IST

गुरुग्राम। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर राजू बनारसी को गिरफ्तार कर लिया है, जिसे 11 साल से अधिक समय से पुलिस तलाश रही थी। राजू बनारसी को राजू सिंह और मृत्युंजय सिंह के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2013 में दिल्ली के तिलक नगर में हुई एक हत्या के मामले में राजू बनारसी वांछित था और उस पर 50,000 रुपये का इनाम था। उसे छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा पर घने जंगल में गिरफ्तार किया गया, जहां वह एक अलग पहचान के साथ छिपा हुआ था।

वर्ष 2013 में 10 लाख की सुपारी लेकर कराई थी हत्या

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यह हत्या का मामला बेहद चौंकाने वाला था। 2013 में तिलक नगर में जितेन्द्र लांबा की हत्या उनके भाई राजेश सिंह लांबा के कहने पर संपत्ति विवाद के चलते की गई थी। इस जघन्य हत्या के लिए राजू बनारसी और उसके साथियों को 10 लाख रुपये दिए गए थे। बनारसी ने हत्यारों को हथियार मुहैया कराए और उनकी भागने की योजना बनाई थी। हत्या के बाद उसके कई साथी गिरफ्तार हो गए, लेकिन वह पुलिस को चकमा देने में सफल रहा और उसे अदालत ने घोषित अपराधी करार दिया गया था।

छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा के घने जंगलों में नाम बदलकर छिपा था राजू बनारसी

इंस्पेक्टर महिपाल के नेतृत्व में और इंस्पेक्टर सतेन्द्र मोहन और रमेश चंद्र लांबा के सहयोग से यह सफलता मिली। पुलिस के अनुसार गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बनारसी ने अपने सभी पुराने मोबाइल नंबर बदल दिए थे, जिससे उसकी तलाश मुश्किल हो गई थी। हालांकि, पुलिस ने कई संदिग्ध संपर्कों की जांच के बाद एक एक्टिव मोबाइल नंबर का पता लगाया, जिससे बनारसी के ठिकाने की जानकारी मिली। बनारसी छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा के घने जंगलों में छिपा हुआ था, जहां से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

जंगल में नाम बदलकर करता था वसूली

पुलिस टीम ने चुनौतीपूर्ण इलाके में जाने के लिए स्थानीय मजदूरों के साथ मिलकर काम किया और उसे पकड़ने के लिए एक रणनीतिक जाल बिछाया। 50 वर्षीय बनारसी, जो 1999 में अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद जंगल में अकेला रह रहा था। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बनारस का रहने वाला राजू ने हत्या के बाद अपना नाम मृत्युंजय सिंह कर लिया था और झारखंड के पलामू में एक ट्रक ड्राइवर के रूप में एक नई ज़िंदगी शुरू की थी। बनारसी ने बताया कि जंगलों में छिपने का उसका फैसला पहचान से बचने का एक तरीका था। पुलिस अब उसकी आपराधिक गतिविधियों की जांच जारी रख रही है, जिसमें झारखंड के डाल्टनगंज में जबरन वसूली के लिए पिछली गिरफ्तारी भी शामिल है।

 

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