क्या है डिजिटल रेप? जिसका स्कूल में शिकार हुई 3 साल की बच्ची...कैसे खुला राज?

नोएडा के एक प्राइवेट स्कूल में तीन साल की बच्ची के साथ कथित डिजिटल रेप का मामला सामने आया है। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक हाउसकीपिंग स्टाफ पर डिजिटल रेप का और दो अन्य पर मामले को छिपाने का आरोप है। जानें क्या है पूरा प्रकरण।

नोएडा। UP केनोयडा शहर में एक चौंकाने वाला सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जहां प्री-प्राइमरी में इनरोल्ड एक 3 वर्षीय बच्ची के साथ डिजिटल रेप के प्रकरण में स्कूल से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें दो ने बच्ची का सेक्सुअल हैरसमेंट किया था, जबकि तीसरे पर डिजिटल रेप का आरोप है। आईए जानते हैं कि क्या है डिजिटल रेप और इससे बचने के क्या हैं उपाय।

स्कूल परिसर से उठाए गए दो लोग

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UP के नोयडा पुलिस ने गुरुवार को प्री-प्राइमरी में इनरोल 3 वर्षीय बच्ची के सेक्सुअल हैरसमेंट के सिलसिले में एक प्राइवेट स्कूल से 2 और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। नोएडा पुलिस ने पहले मुख्य आरोपी, हाउसकीपिंग स्टाफ के एक सदस्य को स्कूल परिसर में नाबालिग के कथित डिजिटल रेप के लिए गिरफ्तार किया था। इससे कुल गिरफ्तारियों की संख्या तीन हो गई है।

घटना को छिपाने का किया गया प्रयास

लेटेस्ट घटनाक्रम के मुताबिक पुलिस ने मामले को छिपाने के कथित प्रयास के लिए एक शिक्षक और स्कूल के एक प्रशासक को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने घटना के बारे में बताया कि यह खुलासा तब हुआ जब नाबालिग बच्ची ने आरोप लगाया कि आरोपी शिक्षक ने उसे घटना के बारे में किसी से भी जानकारी शेयर न करने के लिए कहा था। पुलिस के अनुसार स्कूल की ओर से लापरवाही बरतने के लिए प्रशासक पर आरोप लगाया गया है।

कब और कहां हुई घटना?

9 अक्टूबर को हुई यह घटना तब प्रकाश में आई जब प्री-प्राइमरी की छात्रा के माता-पिता उसे पेट में तेज दर्द की शिकायत पर अस्पताल ले गए। घटना के एक दिन बाद 10 अक्टूबर को नोएडा सेक्टर-20 थाने में केस फाइल किया गया। कुल 3 गिरफ्तारियों में से दो व्यक्तियों को स्कूल से हिरासत में लिया गया। जबकि अन्य संदिग्धों पर घटना को छिपाने का प्रयास करने के लिए केस दर्ज किया गया था, मुख्य आरोपी पर पहले ही बीएनएस 65(2) और पोक्सो की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाया जा चुका है।

डिजिटल रेप क्या है?

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि डिजिटल रेप एक प्रकार का सेक्सुअल हैरसमेंट है, जिसमें किसी अन्य व्यक्ति के अंतरंग क्षेत्रों में बिना सहमति के उंगलियां डाली जाती हैं। यह शब्द अंग्रेज़ी के शब्द 'डिजिट' से लिया गया है, जिसका मतलब होता है उंगली, अंगूठा, या पैर की उंगली। डिजिटल रेप को लेकर कानून 2012 के बाद लागू हुए. इससे पहले, इसे छेड़छाड़ की श्रेणी में रखा जाता था। निर्भया केस के बाद संसद में इससे जुड़ा नया कानून बनाया गया था। इस कानून के तहत, हाथ या उंगली से जबरदस्ती पेनेट्रेशन को सेक्सुअल अपराध माना गया। डिजिटल रेप के आरोपी पर POCSO अधिनियम की धारा 5 और 6 के तहत 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.

परिवार ने बताया कि आरोपी ने बच्ची को काटा चुभोया

जब नाबालिग बच्ची ने स्कूल जाने से इनकार कर दिया और शिकायत की कि उसे पेट में दर्द हो रहा है, तो परिवार को कुछ गड़बड़ होने का संदेह हुआ। जब वे उसे डॉक्टर के पास ले गए, तो उन्हें उसके प्राइवेट पार्ट्स पर कुछ चोटों के बारे में पता चला। जांच के बाद बच्ची ने अपने माता-पिता को बताया कि उसके स्कूल में प्लेट बांटने वाले एक व्यक्ति ने उसके गुप्तांगों में कुछ चुभोया था। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि पुलिस और स्कूल प्रबंधन दोनों पर मामले को छिपाने का आरोप है।

 

 

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