बस 1 कॉल, डिजिटल अरेस्ट और 7 करोड़ ट्रांसफर, वर्धमान ग्रुप के मालिक को कैसे ठगा!

वर्धमान ग्रुप के प्रमुख एसपी ओसवाल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नाम पर 7 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। जानिए कैसे हुआ ये बड़ा साइबर फ्रॉड और पुलिस की अब तक की कार्रवाई।

 

 

Surya Prakash Tripathi | Published : Oct 1, 2024 10:28 AM IST / Updated: Oct 01 2024, 04:00 PM IST

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की आड़ में जालसाजों ने एक बड़ा फ्रॉड किया, जिसमें वर्धमान समूह के प्रमुख एसपी ओसवाल से ₹7 करोड़ की ठगी की गई। इस ठगी में एक फर्जी वर्चुअल कोर्टरूम और नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे ओसवाल को मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोप में फंसाया गया।

टेक्सटाइल कंपनी वर्धमान के चेयरमैन के साथ कब हुई ऑनलाइन ठगी?

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टेक्सटाइल कंपनी वर्धमान के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एसपी ओसवाल को 28 और 29 अगस्त को डिजिटल गिरफ्तारी के तहत रखा गया और उनसे कई एकाउंट में ₹ 7 करोड़ ट्रांसफर करवाए गए। पुलिस ने इन बैंक एकाउंट्स को फ्रीज करने और अब तक ₹ 5 करोड़ से अधिक की वसूली करने में कामयाबी हासिल की है। 82 वर्षीय उद्योगपति ने बताया कि कैसे जालसाजों ने उन्हें यकीन दिलाया कि वे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच के दायरे में हैं।

वर्धमान कंपनी के मालिक ने बताई पुरी घटना

एसपी ओसवाल ने NDTV से बातचीत करते हुए बताया कि उन्हें 28 सितंबर को एक फ़ोन आया, जिसमें उनसे कहा गया कि उनके नाम पर फाईनेंसियल गड़बड़ियां पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि मुझे एक फर्जी CBI कॉल आया, जिसमें बताया गया कि जब तक मैं '9' बटन नहीं दबाता, मेरा फ़ोन डिस्कनेक्ट हो जाएगा। मैंने '9' दबाया और दूसरी तरफ़ से एक आवाज़ आई कि वह CBI के कोलाबा दफ़्तर से कॉल कर रहा है। उसने मेरे नाम से एक मोबाइल फ़ोन नंबर बताया और कहा कि किसी ने मुझे गलत तरीके से पेश करके कनेक्शन ले लिया है। मेरे नाम पर केनरा बैंक में एक एकाउंट खोला गया है। जब मैंने इनकार किया, तो उन्होंने कहा कि यह एकाउंट मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा है।

जेट एयरवेज के पूर्व अध्यक्ष नरेश गोयल से जुड़ने का दिया हवाला

वीडियो कॉल पर उनसे जुड़ने वाले धोखेबाज़ों ने दावा किया कि उनके नाम पर एक खाते का इस्तेमाल जेट एयरवेज के पूर्व अध्यक्ष नरेश गोयल के खिलाफ़ मामले से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के लिए किया गया था, जिन्हें पिछले साल मनी लॉन्ड्रिंग जांच में गिरफ़्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि मेरे आधार डिटेल का यूज करके एकाउंट ओपेन किया गया था। मैंने उनसे कहा कि मैंने जेट एयरवेज में यात्रा की है, इसलिए मैंने पहचान के लिए डिटेल शेयर किया होगा और उनके पास रिकॉर्ड है।

जांच समाप्त करने का आश्वासन देकर दिलाया भरोसा

इसके बाद अधिकारी ने उनसे कहा कि उनके डाक्यूमेंट का दुरुपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं उनकी जांच समाप्त होने तक संदिग्ध था और मैं डिजिटल हिरासत में था। उन्होंने कहा कि वे मेरी रक्षा करने की कोशिश करेंगे और मुझसे पूरा सहयोग करने को कहा। इससे मुझे कुछ हद तक भरोसा हुआ कि वे मेरी रक्षा करेंगे और अंततः मुझे निर्दोष साबित करेंगे।

वीडियो काॅल पर CJI के फेंक कोर्ट रूम को दिखाया

जालसाजों ने वीडियो कॉल के जरिए नकली कोर्टरूम और भारत के मुख्य न्यायाधीश की पहचान में खुद को पेश किया। फर्जी डाक्यूमेंट और डिजिटल सिग्नेचर के जरिए उन्हें धमकाया गया और पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया। वीडियो कॉल में एक व्यक्ति ने खुद को मुख्य जांच अधिकारी राहुल गुप्ता के रूप में पहचाना। उसने मुझे निगरानी के नियम भेजे। लगभग 70 नियम थे। उन्होंने मुझे प्राथमिकता जांच के लिए एक पत्र लिखने को भी कहा। मैंने वैसा ही किया।

एसपी ओसवाल से पूछी पूरी डिटेल

उद्योगपति ने बताया कि जालसाजों ने अधिकारियों के रूप में अपना बयान दर्ज किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझसे मेरे बचपन, शिक्षा और व्यवसाय में प्रवेश के बारे में पूछा। उन्होंने मुझसे मेरी संपत्ति के डिटेल पूछा। मैंने उनसे कहा कि मुझे सब कुछ याद नहीं है, लेकिन मैं अपने मैनेजर से बात करने के बाद उन्हें बता दूंगा। श्री ओसवाल ने बताया कि वह 24 घंटे वीडियो निगरानी में थे। जब भी मैं अपने कमरे से बाहर जाता, तो मैं उन्हें बताता और अपना फोन साथ ले जाता ताकि वे मुझे देख सकें। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं इस मामले के बारे में किसी से बात नहीं कर सकता क्योंकि यह राष्ट्रीय गोपनीयता अधिनियम के तहत आता है।

ईडी ओर मुंबई पुलिस के भेजे फर्जी गिरफ्तारी वारंट

श्री ओसवाल को दिए गए फर्जी गिरफ्तारी वारंट पर प्रवर्तन निदेशालय का मोनोग्राम है और उस पर ईडी और मुंबई पुलिस की मुहरें हैं। इस पर नीरज कुमार नामक व्यक्ति के सिग्नेचर भी हैं, जिसकी पहचान ईडी के सहायक निदेशक के रूप में की गई है। ईडी द्वारा दिए गए असली गिरफ्तारी वारंट पर मुंबई पुलिस की मुहर नहीं है।

पुलिस अब तक 5 करोड़ से ज्यादा की कर चुकी है रिकवरी

पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बाद साइबर क्राइम विभाग की मदद से बैंक एकाउंट्स को फ्रीज कर ₹5.25 करोड़ की राशि वापस दिलाई। दो आरोपी अतनु चौधरी और आनंद कुमार को असम से गिरफ्तार किया गया। दोनों छोटे व्यापारी हैं। आनंद कुमार ने पुलिस को बताया कि उसे पैसों की ज़रूरत थी। उसने कहा कि गिरोह के सदस्यों ने उससे कहा कि उसके एकाउंट का इस्तेमाल गेमिंग पुरस्कार राशि को ट्रांसफर करने के लिए किया जाएगा और उसे हिस्सा मिलेगा। मुझे अपने एकाउंट में 9 करोड़ 20 लाख रुपये मिले, जबकि हम ₹ 2 करोड़ पर सहमत हुए थे।

इन आरोपियों की पुलिस को है तलाश

पुलिस अब अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है, जिनमें कथित मास्टरमाइंड और पूर्व बैंक कर्मचारी रूमी कलिता भी शामिल है। अन्य आरोपियों में निम्मी भट्टाचार्य, आलोक रंगी, गुलाम मुर्तजा और जाकिर शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि इस मामले के पीछे एक इंटर-स्टेट गिरोह का हाथ है, जो धोखाधड़ी की घटनाओं में शामिल है।

 

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