सिक्योरिटी एजेंसीज ने सेना के जवान बनकर 60 से अधिक लोगों को ठगने वाले साइबर गैंग का पर्दाफाश किया है। पुणे स्थित दक्षिणी सेना कमान की मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) यूनिट द्वारा शुरुआती जानकारी शेयर किए जाने के बाद मल्टी-एजेंसी ऑपरेशन शुरू किया गया था।
नई दिल्ली. सिक्योरिटी एजेंसीज ने सेना के जवान बनकर 60 से अधिक लोगों को ठगने वाले साइबर गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने 10 साइबर क्रिमिनल्स को गिरफ्तार किया है। आफिसियल सोर्स ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पुणे स्थित दक्षिणी सेना कमान की मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) यूनिट द्वारा शुरुआती जानकारी शेयर किए जाने के बाद मल्टी-एजेंसी ऑपरेशन शुरू किया गया था।
सोशल मीडिया ऑनलाइन हाउस रेंटिंग से अलर्ट
पुलिस ने बताया कि इस मामल में एक कुख्यात साइबर अपराधी और गैंग का सरगना संजीव कुमार (30) को पकड़ा गया है। जांच एजेंसीज ने एमआई के साथ हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान पुलिस की ज्वाइंट टीमों से पूछताछ के बाद सबसे पहले राजस्थान के भरतपुर से इसे पकड़ा था। उन्होंने बताया कि इसके बाद हरियाणा के कैथल जिले के नूंह और डीग में छापेमारी की गई और सेना का जवान बनकर निर्दोष नागरिकों को ठगने के आरोपी नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
एक अधिकारी ने कहा कि कथित आपराधिक मॉड्यूल ने पीड़ितों को ऑनलाइन हाउस रेंटिंग और अन्य वेबसाइटों के माध्यम से फंसाया था। दीपक बजरंग पवार के नाम पर एक सेवारत सैन्यकर्मी के जाली पहचान दस्तावेजों(morphed identity documents ) का उपयोग करके उनका विश्वास हासिल किया।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि मॉड्यूल ने ठगी का एक कुशल तरीका अपनाया। उन्होंने एक प्रॉपर्टी किराए पर लेने या कुछ सामान खरीदने के लिए लेन-देन को वेरिफाई करने के लिए कुछ रुपये का अनुमानित भुगतान किया। जैसे कि एक सेकंड-हैंड वाहन। फिर उन्होंने कुछ टेक्निकल इश्यू का जिक्र करके पीड़ितों से ओटीपी शेयर करने या क्यूआर कोड स्कैन करने का अनुरोध किया, जिससे पीड़ित के अकाउंट्स से मनी का रिवर्स ट्रांसफर हो गया। यानी पैसा अपराधियों के अकाउंट में पहुंच गया।
जांचकर्ताओं ने पाया कि साइबर अपराधी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के सीमावर्ती जंक्शन से काम कर रहे थे। उन्होंने कई सिम कार्ड, मोबाइल फोन और बैंक खातों का इस्तेमाल किया।
इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस एजेंसियों द्वारा कई फेक सैन्य पहचान पत्र, रक्षा कैंटीन कार्ड, पैन नंबर, आधार कार्ड, तीन दर्जन से अधिक मोबाइल, 206 सिम कार्ड और सात लैपटॉप बरामद किए गए।
गिरोह और किंगपिन के खिलाफ गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में पुलिस मामले दर्ज थे। अधिकारी ने कहा, "साइबर अपराध शिकायत पोर्टल के अनुसार, उसने (संजीव कुमार) 60 से अधिक निर्दोष लोगों को ठगा है।"
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